- रातापानी अभयारण्य में मिला बाघ का शव, लगी थी चोट

रातापानी अभयारण्य में मिला बाघ का शव, लगी थी चोट


अधिकारी बोले-टेरीटोरियल फाइट में हुई बाघ की मौत 


भोपाल । प्रदेश के रातापानी अभयारण्य में शनिवार तड़के एक बाघ का शव मिला है। बाघ की उम्र करीब तीन वर्ष है। बाघ के शरीर गहरे जख्म के निशान मिले हैं। बाघ का यह शव औबेदुल्लागंज वन मंडल की गौहरगंज रेंज की पांजरा बीट में मिला है। इस बारे में वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघ की मौत टेरीटोरियल फाइट में हुई है। सतपुड़ा टाइगर रिजर्व व वन विहार के चिकित्सकीय दल ने शनिवार दोपहर बाघ का पोस्टमार्टम किया जिसके बाद जंगल में ही दाहसंस्कार कर दिया गया। बाघ की शार्ट पीएम रिपोर्ट के अनुसार शरीर पर गहरे घाव पाए गए जो उसकी मौत का कारण बने, आशंका है कि इसकी भिंडत किसी व्यस्क बाघ से हुई होगी जिस लड़ाई में युवा बाघ की जान चली गई। संघर्ष में शामिल दूसरा बाघ भी घायल हो सकता है जिसका मानव टकराव होने सहित गंभीर हालत मं पहुंचने का खतरा है।

 

मध्य प्रदेश: रातापानी में मृत मिला बाघ, कटे हुए पंजे | भोपाल समाचार -  टाइम्स ऑफ इंडिया

 औबेदुल्लागंज वन मंडल में क्षेत्राधिकार को लेकर बाघों के बीच संघर्ष रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। पिछले 11 माह में हुए चार बड़े संघर्षों में दो बाघ, एक बाघिन एवं एक तेंदुआ की मौत हो चुकी है। शनिवार तड़के अभयरण्य के मैदानी क्षेत्र गौहरगंज रेंज की पांजरा बीट में दो बाघों के बीच संघर्ष हुआ जिसमें एक तीन वर्षीय नर बाघ की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि जिस स्थान पर बाघ मृत मिला, वहाँ से थोड़े फासले पर क्रेशर खदान संचालित हो रही है। आपसी संघर्ष के बाद वन विभाग के अधिकारी संघर्ष में शामिल दूसरे बाघ को लेकर भी चिंतित है, जिसके संघर्ष मृत बाघ से हुआ था।

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अधिकारियों द्वारा जंगल में उसकी तलाश भी प्रारम्भ कर दी गई है। मंडल अधीक्षक पुष्पेंद्र सिंह धाकड़ ने बताया कि संघर्ष के दौरान मृत बाघ के शरीर पर पंजे और दांत के गहरे घाव लगे। वहीं उसकी रीढ़ की हड्डी भी टूटी पाई गई। उल्लेखनीय है कि एक साल में संघर्ष की यह चौथी घटना है। विशेषज्ञों के अनुसार बाघों के बीच संघर्ष के मुख्य कारण हैं इनकी संख्या का बढ़ना, जबकि टेरीटोरियल एरिया में कमी होने के कारण संघर्ष की घटनाएं सामने आ रही हैं। औबेदुल्लागंज वन मंडल में बाघों के आपसी संघर्ष की पहली घटना चिकलोद रेंज की बर्रुखार बीट में हुई। उसके बाद 12 फरवरी से 15 अक्टूबर तक चार लड़ाईयों में दो बाघ, एक बाघिन व एक तेंदुए की मौत हो चुकी है।

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