नई दिल्ली,। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के फैसले की एक बार फिर समीक्षा होनी चाहिए। इसकी वजह बताते हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस मदन लोकुर एक इंटरव्यू में कहा कि भारत के संविधान और जम्मू-कश्मीर राज्य के बीच का संबंध, या जम्मू-कश्मीर राज्य का संविधान संवैधानिक आदेशों के माध्यम से शासित होता था और समय-समय पर बड़ी संख्या में संवैधानिक आदेश जारी किये गए हैं।
संवैधानिक आदेशों में से एक - संवैधानिक आदेश संख्या 48- कहता है कि भारत के संविधान में किया गया प्रत्येक संशोधन जम्मू और कश्मीर या जम्मू और कश्मीर राज्य के संविधान पर तब तक लागू नहीं होगा जब तक कि इसे जम्मू और कश्मीर राज्य या जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा द्वारा स्वीकार नहीं किया जाता है। इसलिए, यदि आप इसे जम्मू-कश्मीर पर लागू करने के लिए संविधान में संशोधन करने का प्रयास करते हैं, तो आपको राज्य सरकार या विधायिका की सहमति की आवश्यकता होगी।
जस्टिस लोकुर ने आगे कहा, तो, उस अर्थ में, यदि आप अनुच्छेद 370 के मूल हिस्सों को हटाने और एक नया अनुच्छेद 370 लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए तर्क को देखें, तो मैं ना तो उस तर्क से विशेष हूं और ना ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए तर्क से विशेष रूप से आश्वस्त हूं। उन्होंने कहा, अब, मान लीजिए कि सरकार किसी अन्य राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों या तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लेती है, तो सवाल पूछा जाएगा, कि क्या आप ऐसा कर सकते हैं? इस पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया है, जो मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को देना चाहिए था।