नई दिल्ली। दिल्ली में ठंड के साथ-साथ इन दिनों प्रदूषण भी अधिक बना हुआ है। वहीं कोरोना के नए सब-वैरिएंट के कारण संक्रमण बढ़ने की आंशका भी जताई जा रही है। दिल्ली में अभी तक कोरोना के खास मामले नहीं बढ़े हैं। फिर भी नए सब-वैरिएंट को लेकर थोड़े लोग चिंतित दिखने लगे हैं। सरकार ने भी अस्पतालों को अलर्ट जारी कर जांच बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। इसके मद्देनजर कोरोना के नए सब-वैरिएंट से संक्रमण बढ़ने की संभावनाओं, प्रदूषण के बीच वायरस के संक्रमण के प्रभाव, ठंड के बीच प्रदूषण अधिक होने से स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान और उससे बचाव के तौर तरीकों पर सफदरजंग अस्पताल के प्रिवेंटिव कम्युनिटी मेडिसिन के निदेशक प्रोफेसर डा. जुगल किशोर से रणविजय सिंह ने बातचीत की। पेश है उस देश के कुछ हिस्से में अभी कोरोना के जो मामले देखे गए हैं, उसके मामले अमेरिका में सितंबर में आने शुरू हुए थे।
इसके बाद अमेरिका में मामले बढ़ते गए। वहां के लोगों के माध्यम से दूसरे कुछ देशों में इसका संक्रमण पहुंचा। यह आमिक्रोन के ही वैरिएंट बीए.2.86 के स्वरूप में बदलाव होने से बना है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इसे रुचि का वैरिएंट बताया है। इसका मतलब है कि इसका संक्रमण बढ़ने से मामले बढ़ेंगे लेकिन यह ज्यादा घातक नहीं होगा। डब्ल्यूएचओ ने इस चिंताजनक वैरिएंट नहीं बताया है। कोरोना के मामले बढ़ते घटते रहेंगे। यह नया सब-वैरिएंट संक्रमण करेगा, यह सही है लेकिन ओमिक्रोन का वैरिएंट होने से जोखिम नहीं है।
खांसी, जुकाम, सर्दी, हल्का बुखार व शरीर में दर्द जैसी परेशानियां होंगी। पहले से सांस, किडनी, डायबिटीज, दिल, हाइपरटेंशन इत्यादि पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों व बुजुर्गों को निमोनिया होने का खतरा रहेगा। इसलिए सतर्क रहना जरूरी है। सरकार ने इसको लेकर अलर्ट इसलिए जारी किया है। यह इसलिए जरूरी है कि क्योंकि यह नया सब-वैरिएंट जितना तेजी फैलेगा, उसके स्वरूप में भी बदलाव होने का खतरा उतना ही ज्यादा रहेगा। इसलिए जीनोम सिक्वेंसिंग के जरिये वायरस पर नजर रखना और सतर्कता जरूरी है। साथ ही संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है कि अनावश्यक रूप से भीड़ वाली जगहों पर नहीं जाना है।