- दाल बाजार में लकड़ी के बुरादे से बनता मिला धनिया, रंग मिलाकर पीसे जा रहे थे मसालेखाद्य सुरक्षा विभाग की टीम जब पहुंची तो मसाले लेकर भागने लगा स्टाफ


ग्वालियर। मसालों के शौकीनों लिए सेहत बिगाड़ देने वाली खबर है। ग्वालियर में सेहत से किस कदर खिलवाड़ किया जा रहा है, यह बुधवार को खाद्य सुरक्षा विभाग की कार्रवाई में सामने आ गया। ग्वालियर के सबसे बड़े व्यापार के केंद्र दाल बाजार में मसाला पिसाई कारखाने पर पहुंचने के बाद अधिकारी भी चौंक गए। दाल बाजार की किसमिस वाली गली में महामाया पिसाई केंद्र पर रंग मिलाकर मसाले पीसे जा रहे थे। टीम के पहुंचते ही अंदर काम कर रहा स्टाफ रंगों के पैकेट लेकर भागने लगा, जिसे टीम ने पकड़ लिया। यहां लाल, हरा, आरेंज व पीला रंग मिला जो तीन से चार किलो मात्रा में मिला। यही रंग मसालों में मिलाकर रोज 500 बोरी मसाले पीसे जाते हैं, जिसकी सप्लाई अंचलभर के जिलों में होती है।

 

 

यहां लकड़ी के बुरादे के बोरे मिले जो धनिया में मिलाए जाते थे, जिससे धनिया की मात्रा ज्यादा हो जाए साथ ही रंग भी डाला जा रहा था।टीम ने इस कारखाने से रंग सहित मसालों के सैंपल लिए। कारखाने को सील करने की कार्रवाई देर रात तक जारी थी। यहां बता दें कि खाद्य सुरक्षा विभाग की ओर से संयुक्त दल द्वारा खाद्य पदार्थाों की जांच की जा रही है। इस जांच दल में ग्वालियर के साथ आसपास के जिलों के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को शामिल किया गया है। खाद्य सुरक्षा के अभिहीत अधिकारी अशोक चौहान और दल के प्रभारी लोकेंद्र सिंह को सूचना मिली थी कि दाल बाजार की किसमिस वाली गली में महामाया पिसाई केंद्र पर मसालों में रंग मिलाया जा रहा है जब टीम यहां पहुंची तो शिकायत सही मिली।

 

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 महामाया पिसाई केंद्र, जिसके संचालक राकेश गोयल मौके पर मिले, यह अशोक शर्मा के तलघर में किराए से इस कारखाने का संचालन करते हैं। यहां पांच पैकेटों में रंग मिले और लकड़ी का बुरादा भी काफी मात्रा में मिला। राकेश के यहां पहले भी दो बार जांच हो चुकी है, लेकिन तब रंग नहीं मिला था। खाद्य सुरक्षा टीम में शामिल लोकेंद्र सिंह, निरूपमा शर्मा, अवनीश गुप्ता व महेंद्र सिंह ने मालिक सहित स्टाफ से पूछताछ की। राकेश से पूछा कि रंग क्यों मिलाते हो तो उसने बताया कि जो मसाला पिसवाने का आर्डर देते हैं वह रंग मिलवाते हैं। उनके कहने पर ही रंग डाला जाता है। राकेश गोयल की पिसाई केंद्र से रोज 500 किलो मसालों की पिसाई होती है, यहां से कैलारस, जौरा, मुरैना के आसपास के कस्बे ऐसी छोटी जगहों पर सप्लाई होती है। यहां जब टीम पहुंची तो गोहद जाने के लिए बोरियां तैयार रखीं थीं, जिसे टीम ने रूकवा दिया। 13 साल से राकेश गोयल यह मसाले का कारोबार कर रहे हैं।

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