- वंदे भारत एक्सप्रेस से यात्रियों का मोहभंग

- जेब से लेकर सुविधाओं तक पर भारी पड़ रही ट्रेन भोपाल देशभर में शुरू की गई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को लेकर लोगों का मोहभंग हो रहा है। इसकी वजह है इनमें किराया अधिक होना तो है ही ,साथ हीं सुविधाएं भी ऐसी नही हैं कि आराम से यात्रा की जा सके। यही वजह है कि भोपाल से दिल्ली के बीच एक साल पहले शुरु हुई वंदे भारत एक्सप्रेस को अब भी प्र्याप्त मात्रा में यात्री नहीं मिल पा रहे हैं। यह स्थिति तब है जबकि अन्य ट्रेनों में लंबी प्रतिक्षा सूची बनी रहती है। वंदे भारत ट्रेन में यात्री बेहद मजबूरी में ही सफर करता है। यही वजह है कि इस ट्रेन के संचालन में रेलवे को भी हर दिन भारी भरकम नुकसान हो रहा है। भोपाल से दिल्ली के बीच यात्रा करने वाले यात्रियों द्वारा इसकी तुलना में शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस को अधिक महत्व दे रहे हैं। दरअसल भोपाल से हजरत निजामुद्दीन के लिए वंदे भारत की एग्जीक्यूटिव क्लास का किराया राजधानी एक्सप्रेस के फस्र्ट एसी के किराये से अधिक है और यही वजह है कि वंदे भारत एक्सप्रेस को शताब्दी एक्सप्रेस के मुकाबले यात्री नहीं मिल पा रहे हैं। रेलवे अधिकारी खुद स्वीकार करते हैं कि लोग वंदे भारत एक्सप्रेस के बजाय शताब्दी एक्सप्रेस और राजधानी एक्सप्रेस में यात्रा करना पसंद कर रहे हैं। इसका कारण यह भी है कि भोपाल के लिए वंदे भारत के एक्जीक्यूटिव क्लास का किराया 2170 रुपये है, जबकि राजधानी एक्सप्रेस के फस्र्ट एसी कोच में डायनामिक फेयर के साथ 2100 रुपये किराया लग रहा है। वहीं दिल्ली के लिए यह किराया 1785 रुपये होता है, जबकि राजधानी में डायनामिक फेयर के साथ 1755 रुपये किराया हो रहा है। इसमें भी यात्री को पूरी बर्थ उपलब्ध होती है, जिस पर वह लेटकर आराम से सफर कर सकता है। पिछले कुछ दिनों के आंकड़ों पर गौर करें, तो देखने में आता है कि भोपाल और हजरत निजामुद्दीन के लिए वंदे भारत के मुकाबले शताब्दी एक्सप्रेस में ज्यादा यात्री सफर कर रहे हैं।चलाने पर खर्चा ज्यादा, कमाई कम रेलवे के सूत्रों के अनुसार पर्याप्त संख्या में यात्री न मिलने वंदे भारत एक्सप्रेस अपने संचालन में होने वाले खर्च की आधी आय भी नहीं कर पा रही है। एक अप्रैल 2023 से 31 जनवरी 2024 तक इस ट्रेन के संचालन में रेलवे ने लगभग 75 करोड़ रुपए की राशि खर्च की, लेकिन आय लगभग 31 करोड़ रुपए ही हुई। वहीं शताब्दी एक्सप्रेस के संचालन में लगभग 35 करोड़ रुपए का खर्चा हुआ, जिसके बदले में 42 करोड़ रुपए से अधिक की आय हुई है।

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