- छात्रों को नहीं रास आ रहे सरकारी कॉलेज

भोपाल प्रदेश में अब नए सत्र की तैयारी शुरु हो गई है। इस सत्र के लिए उच्च शिक्षा विभाग द्वारा गाइडलाइन बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया है। जो जल्द ही जारी की जा सकती है। इसे 12वीं के रिजल्ट आने से पहले जारी कर दिया जाएगा। हर साल की तरह इस साल भी प्रदेश में महाविद्यालयों में प्रवेश के लिए उच्च शिक्षा विभाग अभियान चला चुका है। दरअसल अभियान चलाने के बाद भी हर साल सरकारी महाविद्यालयों की करीब आधी सीटें रिक्त रह जाती हैं। ऐसा एकाध नहीं बल्कि कई सालों से हो रहा है। बीते साल भी लगभग यही स्थिति रही है। इस बार भी दिसंबर से जनवरी के बीच कॉलेज चलो अभियान चलाया जा चुका है। इस दौरान प्रोफेसरों द्वारा स्कूलों में जाकर 12वीं के स्टूडेंट्स को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, कॉलेजों में प्रवेश प्रक्रिया और कॉलेज में एडमिशन लेने पर मिलने वाले सरकारी योजनाओं के लाभ आदि के बारे में जानकारी दी गई है। जानकारी के अनुसार, एक महीने तक चले इस अभियान में प्रोफेसरों ने करीब 4 लाख से अधिक स्टूडेंट्स से संपर्क किया। ऐसे में विभाग को इस बार एडमिशन की संख्या बढऩे की उम्मीद अभी बनी हुई है। इस मामले में शिक्षाविदों का कहना है कि सरकार कॉलेजों में संसाधन बढ़ाने और छात्रों के प्लेसमेंट की व्यवस्था पर ध्यान दे, तो इस तरह के अभियान की जरूरत ही नहीं रह जाएगी। वर्तमान में प्रदेश में 536 सरकारी कॉलेज हैं, लेकिन इनसे में 95 फीसदी कॉलेज प्रभारी प्राचार्यों के भरोसे हैं। वहीं प्रोफेसरों के खाली पदों के विरुद्ध अतिथि विद्वानों से काम चलाया जा रहा है। बीते साल यानी कि 2023-24 के सत्र की स्थिति देखें तो यूजीव पीजी की कुल 9.90 लाख सीटों में से महज 5.93 लाख सीटें ही भर पाई थीं, जिसकी वजह से खाली सीटों की संख्या 3.98 लाख हर थी जबकि इसके पूर्व के साल 2022-23 में यूजी व पीजी की सीटों की संख्या 11.12 लाख थी, जिसमें से 5.28 लाख पर ही प्रवेश हुए थे , जिसकी वजह से 5.84 लाख सीटें खाली रह गई थीं। अगले माह शुरू होगी प्रवेश प्रक्रिया विभागीय सूत्रों की माने तो नए सत्र के लिए अगले माह से प्रवेश प्रक्रिया शुरु होने की उम्मीद है। विभाग ने इस साल करीब 10 लाख सीटों का भरने का लक्ष्य तय किया गया है। बीते साल की बात की जाए तो 9.90 लाख सीटों पर प्रवेश के लिए काउंसलिंग की गई थी।

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