- ग्वालियर सीट पर हरल्लों के बीच टक्कर

भोपाल मप्र की 29 लोकसभा सीटों में से ग्वालियर सीट को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों की कोशिश होती है कि इस सीट का हर हाल में जीता जाए। इसी के मद्देनजर दोनों पार्टियां इस सीट पर अपने तुरूप के इक्के यानी जीताऊ प्रत्याशी का टिकट देती है। लेकिन इस बार ग्वालियर संसदीय सीट पर हरल्लों के बीच टक्कर है। यानी दोनों पार्टियों ने इस सीट पर विधानसभा चुनाव हारे प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। भाजपा ने भारत सिंह कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया है। कुशवाहा को ग्वालियर ग्रामीण विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी साहब सिंह गुर्जर ने शिकस्त दी। इस वजह से भारत सिंह कुशवाहा चुनाव हार गए। इसी तरह प्रवीण पाठक को कांग्रेस ने ग्वालियर दक्षिण विधानसभा से चुनाव लड़ाया था लेकिन वे करीबी अंतर से भाजपा के नारायण सिंह कुशवाहा से चुनाव हार गए थे। इस तरह ग्वालियर लोकसभा सीट में इस समय कांग्रेस और भाजपा दोनों के ही प्रत्याशी विधानसभा का चुनाव हारने का स्वाद चख चुके हैं। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में ग्वालियर सीट काफी अहम रही है। इस संसदीय क्षेत्र पर सिंधिया परिवार का खासा असर रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत ग्वालियर सीट से की थी। इस बार यहां से भाजपा ने भारत सिंह कुशवाह को उम्मीदवार बनाया है। दूसरी तरफ कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को मैदान में उतारा है। खास बात यह है कि दोनों ही उम्मीदवार बीते साल हुए विधानसभा चुनाव में हार चुके है। अब लोकसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस में मुकाबला कांटे का नजर आ रहा है। ग्वालियर की लोकसभा सीट शुरू से ही काफी अहम रही है, क्योंकि विजयाराजे सिंधिया सहित राजघराने का हर सदस्य राजनीति से जुड़ा रहा है। पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने भी अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत यहीं से की थी। दोनों पहली बार लड़ रहे लोकसभा चुनाव कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार की घोषणा अभी हाल ही में की है, जबकि भाजपा पहले ही कर चुकी थी, लेकिन खास बात यह है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में हार चुके हैं। भाजपा ने भारत सिंह कुशवाह को उम्मीदवार बनाया है। उन्हें पिछली बार ग्वालियर लोकसभा सीट से जीते विवेक नारायण शेजवलकर के स्थान पर मैदान में उतारा गया है। कुशवाह अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में ग्वालियर ग्रामीण से चुनाव हारे थे। दूसरी तरफ कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को उम्मीदवार बनाया है, जो विधानसभा चुनाव में ग्वालियर दक्षिण से पराजित हुए थे। दोनों उम्मीदवार पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा की कुशवाह समाज के साढ़े तीन लाख वोटरों पर नजर है। वहीं वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के करीबी होने का भी लाभ भारत सिंह कुशवाह को मिला है, जबकि कांग्रेस ने प्रवीण पाठक को उम्मीदवार बनाकर शहर के वोटरों को साधने की कोशिश की है। क्योंकि ग्रामीण क्षेत्र से कांग्रेस को विश्वास है कि विधानसभा चुनाव जीत दिलाने वाले लोकसभा में भी सहयोग करेंगे। लोकसभा चुनाव की दृष्टि से देखा जाए तो इस बार कांग्रेस व भाजपा दोनों ने ही नए चेहरे मैदान में उतारे हैं, क्योंकि विधानसभा चुनाव हारने के तुरंत बाद ही दोनों अपने लिए लोकसभा के लिए वोट मांग रहे हैं। भारत सिंह कुशवाह राम मंदिर और मोदी परिवार को लेकर आगे चल रहे हैं। वहीं प्रवीण पाठक लोकतंत्र बचाओ के साथ ही राहुल गांधी की यात्राओं में उठाए गए मुद्दों का वोटर के सामने रख रहे हैं। ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र में सिंधिया परिवार के अलावा ठाकुर, क्षत्रिय वोटर की अहम भूमिका है। 19 लोकसभा चुनाव में से सिंधिया परिवार के सदस्यों ने 8 बार जीत दर्ज की है। इसमें ठाकुर, क्षत्रिय वोटर ने सहयोग किया है। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में हैं और नरेंद्र सिंह तोमर के समर्थक को ही उम्मीदवार बनाया गया है। यहां से माधवराव सिंधिया कांग्रेस और मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस के उम्मीदवार के तौर पर पांच बार निवाचित हुए, जबकि भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर यशोधरा राजे सिंधिया दो बार यहां से निर्वाचित हुई। इसके अलावा विजयाराजे सिंधिया भी एक बार यहां से चुनाव जीती हैं। कांग्रेस ने अंतिम बार 2004 में जीत दर्ज की थी। जब रामसेवक सिंह निर्वाचित हुए थे। यह बात अलग है कि सवाल पूछने के बदले पैसे लेने के आरोप में उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।संसदीय क्षेत्र में बराबरी की स्थितिग्वालियर संसदीय क्षेत्र में आने वाली आठ विधानसभाओं में से कांग्रेस व भाजपा के पास चार-चार विधायक हैं। यदि विधानसभा चुनाव का ट्रेंड रहता है तो भाजपा व कांग्रेस के बीच मुकाबला कड़ा होगा। इस क्षेत्र में विधानसभा चुनाव में भाजपा को 6 लाख 96 हजार 246 वोट मिले हैं, जबकि कांग्रेस को 6 लाख 82 हजार 233 वोट मिले हैं। इसके अनुसार भाजपा को 14 हजार 13 वोट ही अधिक मिले हैं। ग्रामीण क्षेत्र की तीन सीटें कांग्रेस के पास हैं, जबकि भाजपा के पास दो सीट हैं। कांग्रेस ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादा मजबूत है, शहरी मतदाताओं के बीच भाजपा। शहर में तीन सीटे हैं, जिनमें कांग्रेस के पास एक सीट है। पोहरी विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी ने 49 हजार 481 वोट से भाजपा के मंत्री को हराया था। जबकि भाजपा भितरवार और ग्वालियर विधानसभा में मजबूत है। इन विधानसभा को भाजपा ने बड़े अंतर से जीता था। भाजपा ने ग्वालियर में अपनी जीत के लिए जातिगत समीकरण पर दांव खेला है। इस संसदीय क्षेत्र से पूर्व मंत्री भारत सिंह कुशवाह को अपना उम्मीद्वार बनाया है। करीब साढ़े तीन लाख कुशवाह वोटर के सहारे भाजपा जनाधार मजबूत करेगी। कांग्रेस ब्राह्मण व क्षत्रिय के गणित लेकर चल रही है। प्रवीण पाठक का मानना है कि 19.59 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 5.5 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति के वोटर हैं, जिनका कांग्रेस पर पूरा भरोसा है। जबकि ब्राह्मण समाज के 18 प्रतिशत से ज्यादा वोटर पर भी उन्हें पूरा विश्वास है। वहीं 25 प्रतिशत से ज्यादा पिछड़ा वर्ग भी कांग्रेस का समर्थन देगा। इस जातीय समीकरण के कारण हो भाजपा और कांग्रेस अपनी पूरी ताकत चुनाव में लगा रही है।

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