नई दिल्ली चीन और पाकिस्तान की सीमा पर हवाई खतरों और हमलों को आसमान में ही खत्म करने के लिए भारतीय सेना ने नई तैयारी कर ली है। सेना ने 6800 करोड़ रुपए से दो हथियार प्रणाली को एक्वायर करने का फैसला किया है। सेना 500 से ज्यादा लॉन्चर्स के साथ दोनों सीमाओं पर 3000 हजार से ज्यादा मिसाइलों को तैनात करेगी। पहली मिसाइल कंधे से दागी जाने वाली मैन पोर्टेबल लेगला-एस मिसाइल. इसे रूस के साथ समझौते के तहत लाइसेंस लेकर भारत में ही बनाया जाता है। दूसरी मिसाइल है वेसहोरड। यह स्वदेशी मिसाइल सिस्टम है। दोनों ही कम रेंज के लिए उपयुक्त हथियार प्रणाली है। इन मिसाइलों से दुश्मन के ड्रोन, हेलिकॉप्टर, फाइटर जेट्स, मिसाइलों को ढेर किया जा सकता है। इग्ला-एस एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल का वजन 10.8 किलोग्राम है। जबकि पूरे सिस्टम का वजन 18 किलोग्राम सिस्टम की लंबाई 5.16 फीट होती है। व्यास 72 मिलिमीटर. इस मिसाइल की नोक पर 1.17 किलोग्राम वजन का विस्फोटक लगाते हैं। लेगला-एस की रेंज 5 से 6 किलोमीटर है। अधिकतम 11 हजार फीट तक जा सकती है। यह मिसाइल 2266 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से टारगेट की तरफ बढ़ती है. यानी दुश्मन को बचने का मौका कम ही मिलता है। नई इग्ला-एस हैंड-हेल्ड एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल भारतीय सेना में शामिल पुरानी इग्ला मिसाइल को बदलेगी। वेरी शॉर्ट रेंज एयर डिफेंस सिस्टम को चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात किया जाना है. इसके कई सफल परीक्षण हो चुके हैं। वेसहोरडएयर डिफेंस सिस्टम रूस के एस-400 जैसा है। अभी तक इसे जमीन पर रखे मैन पोर्टेबल लॉन्चर से दागा जाता था। अब इस लॉन्चर को ट्रक, बख्तरबंद वाहन, टैंक आदि पर भी लगा सकते हैं।