ग्वालियर मध्य प्रदेश के जबलपुर हाई कोर्ट की जस्टिस जी एस अहलूवालिया की सिंगल बेंच द्वारा दिया गया फैसला स्तब्ध करने वाला है । एक याचिका पर सुनवाई करते हुए इस फैसले में कहा गया है कि एक पति द्वारा कानूनी रूप से विवाहित पत्नी के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध अपराध नहीं है । अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राज्य अध्यक्ष नीना शर्मा, सचिव प्रीति सिंह ने इस निर्णय पर अफ़सोस एवं आश्चर्य व्यक्त किया है । एडवा नेत्रियों के अनुसार किसी सभ्य समाज का इतना उच्च स्तर का न्यायालय ऐसा फैसला कैसे सुना सकता है । यौन संबंध व्यक्ति की निजी पसंद और नापसंद का और उसकी प्राथमिकता का मामला है । भारत सहित पूरी दुनिया सामान्य दैहिक संबंधों में भी स्त्री की ना को ना के रूप में ही स्वीकार करने की ओर बढ़ चुकी है और दूसरी तरफ हमारे देश में यह फैसला है जो असामान्य और अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने को भी जायज और कानूनी ठहराने की हद तक पहुँच गया है । एडवा ने आशंका जताई है कि जबलपुर हाईकोर्ट के इस फैसले से पत्नी के साथ जबरदस्ती करने वाले पुरुषों का हौसला और बढ़ेगा और महिलाओं के साथ अपराधों की संख्या में भी बढ़ोतरी होगी । पहले से ही स्त्री उत्पीड़न का नरक बने हुए मध्यप्रदेश में इस फैसले के बाद हालात और बदतर हो जायेंगे । *एडवा ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया है कि वे इस निर्णय का स्वतः संज्ञान लेकर इसे डबल बेच को सौंपे और सुनवाई होकर बदलने तक इसे स्थगित करने का आदेश भी दें ।