- 72 प्रतिशत ने कहा कि आमदनी घट गई या स्थिर है-- 90 प्रतिशत ने महंगाई बढऩे की बात कही

। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने आरबीआई की रिपोर्ट के हवाले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को महंगाई बढऩे और आमदनी घटने के मामले में घेरा है। साथ ही कहा कि श्रमिक वर्ग की स्थिति में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने अपने न्याय पत्र में कुछ महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। देश के श्रमिक वर्ग को इन घोषणाओं को बहुत ध्यान से देखना चाहिए और उसी के आधार पर मतदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसी पार्टी के वादों को उसके इरादों से पहचाना जाता है। कांग्रेस पार्टी ने हमेशा से श्रमिक वर्ग का साथ दिया है और उनकी आर्थिक स्थिति मज़बूत करने के लिए प्रयास किए हैं। देश में कांग्रेस की सरकार बनने पर मज़दूरों की स्थिति में बुनियादी बदलाव आएगा। इसके लिए उन्होंने कांग्रेस के काम भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर किए गए ट्वीट में गिनाए हैं। एक्स पर किए गए एक अन्य ट्वीट में कमलनाथ ने देश के सामने बढ़ती महंगाई और आम आदमी की घटती आमदनी पर केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा है कि यह दोनों समस्याएं सबसे बड़ा संकट हैं। मार्च के महीने में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा किए गए कंज्यूमर कांन्फिडेंस सर्वे में भी यह बात और स्पष्ट होकर सामने आ गई है। सर्वेक्षण में शामिल 72 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी आमदनी या तो घट गई है या पिछले साल के स्तर पर ही है। वहीं 90 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सामान की कीमत पिछले साल की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी और देश की जनता बराबर इस बात को कह रही है कि जनता महंगाई से त्रस्त है और उसके ऊपर बेरोजगारी की मार पड़ रही है लेकिन भाजपा सरकार इन बातों को सुनने के लिए तैयार नहीं थी। अब रिजर्व बैंक के सर्वे ने भी स्पष्ट कर दिया है। लोगों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि घटती आमदनी और बढ़ती महंगाई के बीच वह अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करें। देश की जनता लोकसभा चुनाव में भावनात्मक मुद्दों की जगह, अपने जीवन और भविष्य से जुड़े मुद्दों के लिए सुखी और समृद्ध राष्ट्र की नींव रखें। किसानों के भविष्य का चुनाव है, ध्यान रखें एक अन्य ट्वीट में कमलनाथ ने कहा था कि यह लोकसभा चुनाव देश के किसानों के भविष्य का चुनाव है। अपने 10 साल के कार्यकाल में भाजपा सरकार ने किसानों को अत्याचार और झूठे वादे के सिवाय कुछ नहीं दिया। 2014 में सरकार बनते ही भाजपा भूमि अधिग्रहण कानून लेकर आना चाहती थी जिसमें किसानों से जबरदस्ती भूमि छीनने का अधिकार शासन को मिल जाता लेकिन कांग्रेस पार्टी के पुरजोर विरोध के बाद मोदी सरकार को अपने पांव पीछे खींचने पड़े। उसके बाद मोदी सरकार किसानों के लिए तीन काले कृषि कानून लेकर आई, जिनका विरोध देश के किसानों ने करीब डेढ़ वर्ष तक किया। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान करीब 700 किसान शहीद हो गए। तब जाकर मोदी सरकार ने यह कानून वापस लिए। मोदी सरकार ने वादा किया था कि 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी कर दी जाएगी लेकिन आज 2024 आ गया है, किसानों की आमदनी दुगनी तो नहीं हुई बल्कि किसानों की समस्याएं चार गुना बढ़ गई। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने गारंटी दी थी कि किसानों को गेहूं का 2700 रुपए क्विंटल और धान का 3100 क्विंटल एमएसपी दिया जाएगा लेकिन आज तक यह वादा पूरा नहीं किया गया। भाजपा का चाल चरित्र और चेहरा किसान विरोधी है। यह चुनाव के ठीक पहले किसान हित की बात करते हैं और चुनाव के बाद किसान विरोधी षड्यंत्र में जुट जाते हैं। किसानों के हित के काम सिर्फ कांग्रेस पार्टी कर सकती है और उसी ने किए हैं।

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