- -दो साल पहले तक भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल इराक से खरीदता था

रूसी तेल पर छूट घटी तो कंपनियों का सकल रिफाइनिंग मार्जिन कम हुआ रूस ने कच्चे तेल के दाम पर छूट कम कर दी है और इराक भारत पहुंचने वाले तेल में अपनी पैठ दोबारा बनाने कम कीमत पर कच्चा तेल दे रहा है। इस कारण देसी रिफाइनरियां इराक से ज्यादा तेल मंगा रही हैं। उद्योग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि रूस से कच्चे तेल का आयात महंगा होने के कारण वित्त वर्ष 2023-24 की आखिरी तिमाही में तेल कंपनियों का सकल रिफाइनिंग मार्जिन कम हुआ है। सीमा शुल्क के आंकड़ों के आधार पर गणना बताती है कि 2023-24 में रूस का तेल इराक के कच्चे तेल से करीब 3 डॉलर प्रति बैरल सस्ता था, जबकि उससे पिछले वित्त वर्ष में यह 7 डॉलर प्रति बैरल सस्ता पड़ रहा था। दो साल पहले तक भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल इराक से ही खरीदता था मगर रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद लगे प्रतिबंधों के कारण रूस को अपना तेल चीन और भारत को बहुत कम दाम पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा था। भारत ने मौके का पूरा फायदा उठाया और रूस से ज्यादा तादाद में तेल खरीदा। इस कारण रूस पिछले वित्त वर्ष में भारत को सबसे ज्यादा तेल बेचने वाला देश बन गया। वित्त वर्ष 2024 में रूस से औसतन 76.4 डॉलर प्रति बैरल पर कच्चे तेल का आयात किया, जबकि इराक से तेल आयात की लागत 79 डॉलर प्रति बैरल थी। वित्त वर्ष 2023 में इराक के तेल का औसत भाव 90.6 डॉलर प्रति बैरल था जबकि रूस से तेल 83.2 डॉलर प्रति बैरल पड़ा था। पिछले वित्त वर्ष में वेनेजुएला के कच्चे तेल का भाव सबसे कम 64 डॉलर प्रति बैरल था। मगर गुणवत्ता खराब होने, भारी होने और गंधक ज्यादा होने के कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज के जामनगर संयंत्र जैसी उन्नत रिफाइनरियों में ही प्रोसेस किया जा सकता है। इराक से कच्चे तेल के दाम 2024 में घट गए। मार्च में इराकी बेंचमार्क बसरा ऑयल रूस के कच्चे तेल से 2 डॉलर प्रति बैरल सस्ता था। सीमाशुल्क विभाग के आंकड़े बताते हैं कि मार्च में इराकी तेल की औसत कीमत 78.6 डॉलर प्रति बैरल और रूसी तेल की कीमत 80.6 डॉलर प्रति बैरल थी। मुंबई के एक रिफाइनर ने कहा कि भारतीय रिफाइनरियां हेवी ग्रेड वाला बसरा क्रूड खरीद रही हैं, जिस पर छूट मिल रही है। उद्योग सूत्रों ने कहा कि वित्त वर्ष 2024 में रूसी तेल पर छूट आधी रह जाने से उसके और इराक के तेल के भाव का अंतर भी कम हो गया। रूस के तेल पर भारत को मिलने वाली छूट वित्त वर्ष 2023 की चौथी तिमाही में करीब 77 फीसदी घट गई। सार्वजनिक क्षेत्र की एक रिफाइनरी के एक अधिकारी ने बताया कि वित्त वर्ष 2023 में प्रति बैरल 10.5 डॉलर की छूट मिल रही थी जो पिछले वित्त वर्ष में घटकर 5.8 डॉलर प्रति बैरल रह गई। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि रूस पर नए अमेरिकी प्रतिबंधों का रूस के करीब 10 फीसदी जहाजों पर असर पड़ा है। मुंबई की एक रिफाइनरी के अधिकारी ने कहा कि भारतीय रिफाइनरियों के करार के मुताबिक रूस को खरीदा तेल यहां तक पहुंचाना पड़ता है और माल भाड़े या बीमा में कोई भी इजाफा छूट में से काट दिया जाता है। रुस से कच्चे तेल पर मिल रही छूट कम ही रही और भाव 85 डॉलर प्रति बैरल रहा तो वित्त वर्ष 2025 में देश का शुद्ध तेल आयात बिल बढ़कर 101 अरब से 104 अरब डॉलर तक हो सकता है, जो वित्त वर्ष 2024 में 96.1 अरब डॉलर ही था।’ उद्योग के अधिकारियों ने कहा कि तेल के दाम में उतार-चढ़ाव जारी है।

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