रेलवे भर्ती बोर्ड प्रयागराज की सामान्य विभाग प्रतियोगी परीक्षा (जीडीसीई) के पेपर लीक होने के मामले में सीबीआई की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा लखनऊ ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं। रेलवे भर्ती बोर्ड पटना के चेयरमैन राजेश कुमार से लेकर कई कर्मचारी इस परीक्षा के पेपर लीक करने में शामिल थे। इसमें करीब दो करोड़ रुपये वसूले गए। प्रत्येक अभ्यर्थी से चार लाख रुपये वसूले गए। यह परीक्षा 6 अगस्त 2021 को आयोजित की गई थी। पेपर सिर्फ अंग्रेजी में ही क्यों तैयार किया गया? प्रत्येक अभ्यर्थी से चार लाख रुपये वसूले गये. यह परीक्षा 6 अगस्त 2021 को आयोजित की गई थी.
इस मामले में चार रेलवे कर्मचारियों समेत करीब एक दर्जन लोगों की तलाश की जा रही है। सीबीआई के मुताबिक नियमानुसार प्रश्नपत्र दो भाषाओं में तैयार किया जाता है। लेकिन चेयरमैन राजेश कुमार ने प्रश्नपत्र सिर्फ अंग्रेजी में ही बनवाया। यह प्रश्नपत्र एप्टेक संस्थान भेजा गया, जहां एप्टेक की गोपनीय टीम ने प्रश्नपत्र का हिंदी में अनुवाद किया। इसके बाद ही 6 अगस्त 2021 की सुबह प्रश्नपत्र परीक्षा केंद्रों पर भेजा गया। हालांकि, प्रश्नपत्र इससे एक दिन पहले ही लीक हो गया था।
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सीबीआई जांच में यह भी सामने आया है कि आंतरिक स्तर की परीक्षा में अभ्यर्थी बलराम मीना और शिव कुमार को 100 अंकों के प्रश्नपत्र में 94 अंक मिले थे। इसे उत्तीर्ण करने के लिए सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को 40 अंक, पिछड़ी और अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों को 30 अंक और अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों को 25 अंक लाने होंगे। इसके बाद भी परिणाम में बलराम और शिव कुमार को अनुत्तीर्ण दिखाया गया।
जांच में यह भी पाया गया कि कुछ स्थानों पर रेलवे कर्मचारी भी अभ्यर्थी बनकर बैठे थे। उन्होंने कुछ लोगों के लिए सॉल्वर का काम भी किया था। इस दौरान भूप सिंह और जितेंद्र मीना नामक दो लोगों ने प्रश्नपत्र हासिल करने के लिए रेलवे में पदस्थ प्रशांत मीना से संपर्क किया। प्रशांत मीना ने पैसे तो ले लिए लेकिन परीक्षा में नहीं बैठा। भूप और जितेन्द्र बाहरी थे। अभी तक उनका कुछ पता नहीं चल पाया है।