पौष माह में गुरु नानक जयंती और लोहड़ी समेत कई महत्वपूर्ण त्यौहार आते हैं। इस दौरान पवित्र नदियों में स्नान करने से पुण्य मिलता है। पिंडदान और तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
सनातन कैलेंडर का दसवां महीना पौष 16 दिसंबर से शुरू हो रहा है। यह 13 जनवरी को समाप्त होगा। यह महीना ग्रहों के राजा सूर्यदेव को समर्पित है।
इस महीने में भगवान विष्णु के साथ सूर्यदेव की विधि-विधान से पूजा करने से सुख, समृद्धि, वैभव के साथ-साथ तेज, बल और बुद्धि की प्राप्ति होती है। हालांकि इस महीने में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
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इस महीने में हर दिन तांबे के बर्तन में लाल फूल, लाल चंदन और गंगा जल डालकर सूर्य देव को जल अर्पित करें। इस दौरान 'ॐ सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि सूर्य देव को जल अर्पित करने से रुके हुए काम पूरे होते हैं और मनचाही नौकरी मिलती है।
पौष मास में गंगा, यमुना, अलकनंदा, शिप्रा, नर्मदा, सरस्वती, प्रयागराज के संगम जैसी नदियों में स्नान करने और तीर्थ स्थानों के दर्शन करने की भी परंपरा है। इस हिंदी महीने में व्रत, दान और पूजा-पाठ के साथ ही पवित्र नदियों में स्नान का भी महत्व बताया गया है।
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