डिजिटल अरेस्ट को लेकर अब लोग जागरूक हो गए हैं। इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं, लेकिन मध्य प्रदेश के भोपाल में एक दिलचस्प घटना सामने आई है। यहां ठगों ने डिजिटल अरेस्ट के जरिए एक युवक को फंसाने की कोशिश की, लेकिन युवक साजिश को समझ गया। इस पर ठग द्वारा पूछे गए सवाल चर्चा में हैं।
मध्य प्रदेश की राजधानी में साइबर अपराध के प्रति बढ़ती जागरूकता लोगों को ठगी से बचा रही है। पिछले दो महीने में शहरवासियों को दर्जन भर बार साइबर ठगों के डिजिटल गिरफ्तारी के लिए फोन आ चुके हैं, लेकिन इनमें से आठ मामलों में जागरूक लोगों ने ठगी के जाल को पहचान लिया और खुद को ठगी से बचाने में सफल रहे।
ऐसा ही मामला गुरुनानक नगर में रहने वाले ग्राफिक डिजाइनर युवक अनिरुद्ध बापट के साथ हुआ। अनिरुद्ध के पास शुक्रवार को साइबर ठग का फोन आया। ठग ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया और अनिरुद्ध पर अवैध वसूली के लिए फोन करने का आरोप लगाया।
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अनिरुद्ध ने बताया, 'प्लस 97 नंबर से कॉल आया था, जिसे मैं शुरू में ही समझ गया था। इसके बाद मैंने आईवीआरएस और फिर टेलीकॉम कंपनी के प्रतिनिधि को कॉल किया। उसने मुझसे कहा कि अवैध वसूली के लिए आपके नंबर से कॉल किया गया है, दो घंटे के अंदर मुंबई क्राइम ब्रांच में पहुंचिए, नहीं तो हम आपके घर आकर आपको गिरफ्तार कर लेंगे।'
'जब मैंने आने में असमर्थता जताई तो उसने मुझसे कहा कि मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी से वीडियो कॉल पर बात करो। उसका कॉल पांच मिनट बाद आया। मैं समझ चुका था कि मामला फर्जी है, इसलिए मैंने मोबाइल से वीडियो रिकॉर्डिंग शुरू कर दी।'
'कॉल पर थाने का पूरा सेटअप दिख रहा था। उसने ई-वेरिफिकेशन की बात करके 15 मिनट में मेरी जानकारी लेना शुरू कर दिया। जब वह आधार कार्ड मांगने लगा तो मैंने सोचा कि मैं आगे बात नहीं करूंगा।'
'फिर मैंने पूछा कि इसे सेट करने में बहुत मेहनत लगती होगी। जैसे ही मैंने यह कहा, वह मुझे तंग करने लगा कि बताओ उसने मुझे कैसे पकड़ा। उसने यह भी पूछा कि जब तुम्हें पता चल गया था कि हम नकली हैं, तो तुमने इतनी देर तक बात क्यों की। फिर मैंने उससे कहा, ताकि तुम इस दौरान किसी और को कॉल न कर सको।'
अनिरुद्ध ने बताया कि चार महीने पहले भी मेरे पास डिजिटल गिरफ्तारी के लिए इसी तरह का फोन आया था। तब मुझे झांसा दिया गया था कि आपका पार्सल कस्टम में पकड़ा गया है। अखबारों के जरिए मुझे पहले ही पता चल गया था। इसलिए मुझे कुछ देर बाद वह मामला समझ में आ गया। लेकिन इस बार जब फोन आया तो मुझे पहले ही शक हो गया था कि मेरे साथ ठगी हो रही है।
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