- क्यों शरद पवार भी अब चाह रहे अजित पवार से एकता, बयानों के पीछे क्या है इनसाइड स्टोरी

क्यों शरद पवार भी अब चाह रहे अजित पवार से एकता, बयानों के पीछे क्या है इनसाइड स्टोरी

इसकी शुरुआत अजित पवार के खेमे से नहीं बल्कि शरद पवार के गुट से हुई थी। पिछले साल 14 दिसंबर को शरद पवार की पार्टी के विधायक और उनके पोते रोहित पवार की मां सुनंदा ने एक बयान दिया था। सुनंदा पवार ने कहा था कि अजित पवार और शरद पवार का एक होना जरूरी है। यह राज्य और परिवार के लिए अच्छी बात होगी।

राजनीति में बिना वजह या अनायास कुछ नहीं होता। किसी के भी बयान का कोई मतलब होता है और उसके पीछे कोई गहरी रणनीति छिपी होती है या फिर भविष्य के कुछ संकेत होते हैं। महाराष्ट्र के पवार परिवार के बीच एक साल से ज्यादा समय तक चली जंग के बाद अब सुलह को लेकर आ रहे बयानों को भी संकेत ही माना जा रहा है।

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डिप्टी सीएम अजित पवार की मां ने सबसे पहले एकता की बात की और कहा कि वह चाहती हैं कि उनका बेटा और शरद पवार साथ मिलकर राजनीति करें। फिर बारी अजित के खेमे के प्रफुल्ल पटेल की आई जिन्होंने शरद पवार के बारे में यहां तक ​​कह दिया कि वह हमारे लिए भगवान जैसे हैं। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मतभेदों के चलते हम अलग हो गए, लेकिन हमारे दिल में शरद पवार के लिए पहले जैसा ही सम्मान है। एक तरफ अजित पवार की मां आशा ताई का बयान और उसके बाद प्रफुल्ल पटेल का शरद पवार को भगवान कहना अनायास नहीं है।

इसके अपने मायने हैं, जो निकाले जा रहे हैं।

महाराष्ट्र की राजनीति में इस बात पर चर्चा जोरों पर है कि क्या पवार परिवार के दो खेमों के बीच एकता हो सकती है। दरअसल, इसकी शुरुआत अजित पवार के खेमे से नहीं बल्कि शरद पवार के गुट से हुई है। पिछले साल 14 दिसंबर को शरद पवार की पार्टी की विधायक और शरद पवार के पोते रोहित पवार की मां सुनंदा ने एक बयान दिया था। सुनंदा पवार ने कहा था कि अजित पवार और शरद पवार का एक होना जरूरी है।

 

यह राज्य और परिवार के लिए अच्छी बात होगी। 

इस तरह एकता की पहल शरद पवार के खेमे से ही हुई, जिसे अजित पवार के गुट ने भी मजबूती से उठाया है। महाराष्ट्र और एनसीपी की राजनीति को समझने वालों का मानना ​​है कि इन बयानों के पीछे कोई साजिश है। दरअसल दोनों गुट भविष्य की राजनीति के लिए एकता चाहते हैं और पूरी संभावना है कि शरद पवार इसके लिए राजी हो जाएं। शरद पवार के एकता चाहने के कई कारण हैं। वह 84 साल के हैं और अगले विधानसभा चुनाव तक उनकी उम्र 90 साल के करीब हो जाएगी। उनकी बेटी सुप्रिया सुले भले ही लगातार बारामती से सांसद चुनी जा रही हों, लेकिन वह जननेता नहीं बन पाई हैं।

 

ऐसे में शरद पवार के बिना सुप्रिया सुले कैसे आगे बढ़ेंगी। यह चिंता का विषय होगा। माना जा रहा है कि इसी वजह से शरद पवार अपने भतीजे के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं। इससे पार्टी मजबूत रहेगी और परिवार के सभी लोगों के लिए संभावनाएं बनी रहेंगी। विधानसभा चुनाव में शरद पवार की पार्टी को बड़ा झटका लगा है, जबकि अजित पवार की पार्टी 41 विधायक जीतने में सफल रही। इस तरह से राज्य की राजनीति में शरद पवार के खेमे को झटका लगा है।

 

वहीं, यह एकता भाजपा के लिए भी फायदेमंद होगी। लोकसभा में उसे शरद पवार के सांसदों की ताकत मिलेगी, जबकि विधानसभा में भी स्थिति एकतरफा हो जाएगी। अभी तक अजित पवार या शरद पवार ने आधिकारिक तौर पर एकता को लेकर कुछ नहीं कहा है, लेकिन माना जा रहा है कि परिवार और नेताओं की ओर से इस तरह के बयान मिलने से माहौल बन रहा है। इसके बाद उचित अवसर पाकर कभी भी साथ आने की पहल की जा सकती है।

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