सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने कहा है कि सरकारी वेबसाइट जैसी दिखने वाली फिशिंग वेबसाइट आपका निजी डेटा चुराकर साइबर धोखाधड़ी कर सकती हैं।
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देश में साइबर अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं बख्श रहे हैं। इसकी पुष्टि खुद सुप्रीम कोर्ट ने की है। सुप्रीम कोर्ट ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर कहा है कि साइबर जालसाजों ने उस पर फिशिंग अटैक किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट (SC) रजिस्ट्री ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी कर लोगों को फर्जी वेबसाइटों से आगाह किया है।
रजिस्ट्री ने नोटिस में कहा है कि साइबर अपराधी सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट की नकल करके लोगों को ठग सकते हैं। रजिस्ट्री ने ऐसी 15 वेबसाइटों की सूची बनाई है, जो सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से मिलते-जुलते यूआरएल बनाकर लोगों को ठग रही हैं और सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से जजों और कोर्ट की निजी और गोपनीय जानकारी में सेंध लगाने की कोशिश भी कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने आम जनता को फर्जी वेबसाइटों से दूर रहने की सलाह दी है। रजिस्ट्री ने कहा है कि सरकारी वेबसाइट जैसी दिखने वाली फिशिंग वेबसाइट आपका निजी डेटा चुराकर साइबर धोखाधड़ी कर सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने ऐसी फर्जी वेबसाइट पर क्लिक न करने की सलाह दी है।
अपनी एडवाइजरी में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शीर्ष अदालत कभी भी किसी यूजर से उसकी निजी जानकारी, वित्तीय जानकारी आदि नहीं मांगती है। ऐसे में अगर कोई वेबसाइट ऐसी जानकारी मांगती है तो सतर्क हो जाएं। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट www.sci.gov.in है। साइबर अपराधियों ने मिलते-जुलते नामों से फर्जी वेबसाइट बना रखी हैं।
पिछले साल तत्कालीन सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने भी लोगों से सुप्रीम कोर्ट के नाम पर चल रही फर्जी वेबसाइट से दूर रहने को कहा था। इस बार भी सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार (टेक्निकल) एचएस जग्गी के हस्ताक्षर से जारी इस सार्वजनिक नोटिस में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट www.sci.gov.in है। यह वेबसाइट कभी भी लोगों से उनकी निजी, वित्तीय या गोपनीय जानकारी साझा करने के लिए नहीं कहती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस बारे में पुलिस और संबंधित एजेंसियों को भी सूचित कर दिया है।