मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि किसी व्यक्ति को मतदाता के रूप में अपना पंजीकरण केवल उसी निर्वाचन क्षेत्र से कराना चाहिए, जहां का वह सामान्य निवासी है।
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम किसी व्यक्ति को सामान्य निवास वाले क्षेत्र में ही मतदान का अधिकार देता है। उन्होंने एक उदाहरण भी दिया और कहा कि यदि आप सामान्य रूप से दिल्ली में रहते हैं, लेकिन आपका निजी घर पटना में है, तो आपका वोट पटना में नहीं, बल्कि दिल्ली में होना चाहिए। बूथ लेवल अधिकारियों को संबोधित करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि यह स्थिति तब स्पष्ट हो गई है, जब बिहार में सत्यापन के दौरान राजनीतिक दल आरोप लगा रहे हैं कि उनके विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले लोगों के नाम गलत तरीके से मतदाता सूची से हटाए जा रहे हैं।
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बिहार में बड़ी संख्या में प्रवासी मतदाता? आयोग ने कहा कि सत्यापन अभियान में वहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से नहीं हटाया जा रहा है। इस अभियान का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य ऐसे लोगों की पहचान करना है, जिन्होंने जाने-अनजाने में अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से कई वोटर कार्ड हासिल कर लिए हैं।
आयोग ने इस संबंध में भी स्थिति स्पष्ट की है कि बिहार में बड़ी संख्या में प्रवासी मतदाता हैं, जो नौकरी या व्यवसाय के सिलसिले में दूसरे शहर या राज्य में रहते हैं। आशंका है कि ऐसे कुछ लोग अपने सामान्य निवास और मूल निवास दोनों से मतदाता बने हुए हैं। गौरतलब है कि पूरे देश में या अलग-अलग हिस्सों में पिछले 52 वर्षों में मतदाता सूची का सत्यापन नौ बार किया गया है, जबकि बिहार में यह सत्यापन 2003 में किया गया था।
चुनाव आयोग ने टीएमसी प्रतिनिधिमंडल से की मुलाकात
चुनाव सुधार को लेकर राजनीतिक दलों से मुलाकात के क्रम में चुनाव आयोग ने मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की। इस दौरान आयोग ने उन्हें चुनाव सुधार के क्रम में पिछले कुछ महीनों में उठाए गए कदमों से अवगत कराया। साथ ही उनके सुझाव भी सुने। बैठक में तृणमूल कांग्रेस की ओर से चंद्रिमा भट्टाचार्य, कल्याण बनर्जी जैसे नेता मौजूद थे, जबकि आयोग की ओर से मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, डॉ. एसएस संघू और डॉ. विवेक जोशी समेत पूरी टीम मौजूद थी।
इससे पहले आयोग ने कांग्रेस पार्टी को छोड़कर सभी राष्ट्रीय दलों से सीधी चर्चा की है। तृणमूल कांग्रेस के नेता कल्याण बनर्जी ने कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग को जो सुझाव दिए हैं, उनमें उन्होंने बिहार की मतदाता सूची को 2003 के बजाय 2024 के आधार पर सत्यापित करने का सुझाव दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग 2024 में होने वाले आम चुनाव में मतदान कर चुके हैं और मतदाता रहे हैं, तो उन्हें आप कैसे हटाएंगे।
इसके साथ ही चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों के साथ-साथ राज्य पुलिस को भी मतदान केंद्रों के अंदर तैनात करने की मांग की गई। फर्जी मतदाता के मुद्दे से गंभीरता से निपटा जाना चाहिए और चुनाव से पहले महाराष्ट्र, दिल्ली में मतदाताओं की अचानक वृद्धि का मुद्दा भी उठाया गया। उन्होंने दावा किया कि आयोग ने उनकी बात को पूरी गंभीरता से सुना और कार्रवाई का आश्वासन दिया।