- भगवा लहर ने भाजपा को वरिष्ठ सहयोगी बना दिया है; भविष्य में गठबंधन का स्वरूप बदल सकता है।

भगवा लहर ने भाजपा को वरिष्ठ सहयोगी बना दिया है; भविष्य में गठबंधन का स्वरूप बदल सकता है।

बिहार विधानसभा चुनावों में एनडीए की प्रचंड जीत ने चुनावी समीकरणों को तहस-नहस कर दिया है। इस बार बिहार में भगवा लहर साफ़ दिखाई दे रही थी, जिससे भाजपा गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी बन गई। अगर भाजपा की बढ़त जीत में तब्दील होती है, तो भविष्य में बिहार में गठबंधन का स्वरूप बदल सकता है।

2025 के बिहार विधानसभा चुनावों के रुझानों ने सभी राजनीतिक परिदृश्यों को उलट दिया है। शुक्रवार को हुई मतगणना के रुझानों से पता चलता है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) 243 विधानसभा सीटों में से 200 से ज़्यादा सीटें जीत रहा है। एनडीए की इस प्रचंड जीत ने बिहार के सत्ता के गलियारों में इतिहास रच दिया है। इस चुनाव की एक प्रमुख विशेषता भाजपा का सबसे ज़्यादा स्ट्राइक रेट है। उसने जिन 101 सीटों पर चुनाव लड़ा था, उनमें से वह 95 पर आगे चल रही है, जबकि उसकी सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) 84 पर आगे है।

भगवा प्रभाव भाजपा को वरिष्ठ सहयोगी बनाता है
इस बार, बिहार चुनावों में भगवा लहर भाजपा को वरिष्ठ सहयोगी बना रही है। अब तक के रुझानों से पता चलता है कि भाजपा अपने गठबंधन सहयोगियों में सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली पार्टी बनकर उभर रही है। भाजपा और जदयू ने बराबर-बराबर 101 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि उसकी सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) को 28 सीटें मिलीं। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी "हम" को छह सीटें मिलीं। मौजूदा रुझानों के अनुसार, भाजपा 95 सीटों के साथ आगे चल रही है, जदयू 84 सीटों के साथ, लोजपा 20 सीटों के साथ और हम 5 सीटों के साथ। नतीजतन, भाजपा गठबंधन में वरिष्ठ सहयोगी नज़र आ रही है। गठबंधन के सहयोगियों ने भी शानदार प्रदर्शन किया है।

बिहार में भगवा लहर बदल सकती है गठबंधन का भविष्य
इस चुनाव में देखी गई "भगवा लहर" ने न केवल एनडीए की ऐतिहासिक जीत को चिह्नित किया, बल्कि भाजपा को गठबंधन में वरिष्ठ सहयोगी के रूप में भी स्थापित किया। अब यह माना जा रहा है कि नीतीश कुमार की जदयू पर लंबे समय से निर्भरता के बोझ तले दबी भाजपा अब एक मजबूत स्थिति में है, जो संभावित रूप से गठबंधन के भविष्य के स्वरूप को बदल सकती है। यह जीत भाजपा के लिए एक नया खाका तैयार कर रही है। गठबंधन के भीतर सत्ता के बंटवारे को लेकर बहस तेज हो सकती है। अगर भाजपा की 95 सीटों पर बढ़त जीत में तब्दील होती है, तो गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में मुख्यमंत्री पद पर उसकी दावेदारी मज़बूत हो सकती है। वह सम्राट चौधरी या निशिकांत दुबे जैसे नेताओं को बिहार में नए नेतृत्व के रूप में भी सामने ला सकती है।

चुनावों में भाजपा का नया खाका सामने आया
चुनावी रणनीति में माहिर भाजपा ने बिहार में अपने नए खाके का स्पष्ट प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जोड़ी ने विभिन्न क्षेत्रों में ज़ोरदार चुनाव प्रचार अभियान चलाया और अपने मतदाता आधार को मज़बूत किया। भाजपा के प्रदर्शन का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसने यादव-बहुल, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के इलाकों में भी भगवा झंडा फहराया। मिथिला जैसे इलाकों में मैथिली ठाकुर जैसी उम्मीदवारों की जीत ने पार्टी को नई ऊँचाइयों पर पहुँचाया। इसके अलावा, इस जीत ने बिहार में महिला सशक्तिकरण के नारे को भी मज़बूत किया।

एनडीए की जीत के प्रमुख कारक
मौजूदा रुझानों में, एनडीए 200 से ज़्यादा सीटों पर आगे चल रहा है। एनडीए की शानदार जीत के पीछे कई कारक हैं। पहला, विकास और पारदर्शिता का एजेंडा। भाजपा ने प्रधानमंत्री आवास, उज्ज्वला और किसान सम्मान निधि जैसी केंद्रीय योजनाओं का ज़ोरदार प्रचार किया। दूसरा, इसकी संगठनात्मक मज़बूती, जिसके चलते हर सीट के लिए एक मज़बूत रणनीति बनाई गई। पार्टी ने ग्रामीण स्तर पर बूथ प्रबंधन को मज़बूत किया, जिससे एनडीए को 2010 के बाद से अपनी सबसे बड़ी जीत मिली। एनडीए की भारी जीत का तीसरा कारण विपक्ष की कमज़ोरियाँ थीं। राजद पर "भाई-भतीजावाद" के आरोपों और कांग्रेस के संगठन की कमी ने महागठबंधन को कमज़ोर कर दिया। एग्ज़िट पोल ने एनडीए को 200 से ज़्यादा सीटें मिलने का अनुमान लगाया था, जो अब हकीकत बनता जा रहा है।

मैथिली ठाकुर मंत्री या उप-मुख्यमंत्री बन सकती हैं।

बिहार के अलीनगर से लोक गायिका मैथिली ठाकुर को मैदान में उतारने वाली भाजपा, महिला सशक्तिकरण के अपने दावे को और मज़बूत करने के लिए उन्हें पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय या महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का प्रभार दे सकती है। मैथिली ठाकुर अपनी सीट पर आगे चल रही हैं। सूत्र यह भी संकेत दे रहे हैं कि अगर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनते हैं, तो भाजपा गठबंधन सरकार में मैथिली ठाकुर को उप-मुख्यमंत्री भी बना सकती है।

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