महागठबंधन ने जाति जनगणना और सरकारी नौकरियों के मुद्दों पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे करारी हार का सामना करना पड़ा। वहीं, भाजपा और जदयू के नेतृत्व वाले गठबंधन ने भारी जीत हासिल की।
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन को भारी जीत मिली। राज्य की 243 सीटों में से लगभग 200 एनडीए गठबंधन को मिलीं। कांग्रेस दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाई और तेजस्वी यादव की पार्टी, जिसने मतगणना से पहले सरकार बनाने का दावा किया था, चिराग पासवान की पार्टी से मामूली अंतर से आगे रही। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) एनडीए में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे साफ तौर पर दर्शाते हैं कि अति पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) ने महागठबंधन के मुद्दों को नकार दिया और एनडीए को भारी जीत दिलाई।
महागठबंधन के नेताओं ने जाति जनगणना के जरिए अति पिछड़ों को लुभाने की कोशिश की, लेकिन पूरी तरह नाकाम रहे। जनता ने एनडीए की योजनाओं में विश्वास जताया और उसे भारी जीत दिलाई।
किस पार्टी ने कितनी सीटों पर चुनाव लड़ा?
तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनता दल ने 144 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। कांग्रेस ने 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। महागठबंधन ने बाकी सीटें सीपीआई और मुकेश सहनी की वीआईपी को दीं। हालाँकि, महागठबंधन की कुल सीटें 50 से कम रहीं। भाजपा और जदयू से मिलकर बने एनडीए गठबंधन ने 101 सीटों पर चुनाव लड़ा। चिराग पासवान की लोजपा ने 29 सीटें जीतीं, जबकि राष्ट्रीय लोक मोर्चा और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने छह-छह सीटें जीतीं। एनडीए का कुल वोट शेयर लगभग 50 प्रतिशत था और सीटों की संख्या लगभग 200 थी।
महागठबंधन के मुद्दे क्या थे?
राहुल गांधी ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जाति जनगणना का मुद्दा उठाया। इसके बाद, तेजस्वी यादव ने 10 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया। उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी, कर्ज माफी और मनरेगा के तहत मजदूरी बढ़ाने का भी वादा किया।
महागठबंधन ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती, अस्पतालों में मुफ्त डॉक्टर और दवाइयाँ उपलब्ध कराने और शिक्षा बजट बढ़ाने का वादा किया। गठबंधन ने नीतीश कुमार सरकार पर पिछले 15 वर्षों में भ्रष्टाचार, अपराध और पलायन का आरोप लगाया और लॉकडाउन के दौरान बिहार लौटे मज़दूरों की दुर्दशा का मुद्दा उठाया।
तेजस्वी ने "बिहार लौटो, नौकरी पाओ" का नारा भी दिया। अपने मूल मुस्लिम-यादव वोट बैंक के साथ-साथ उन्होंने अति पिछड़ा वर्ग, दलितों और महादलितों को भी लुभाने की कोशिश की। उन्होंने सरकारी नौकरियों में महिलाओं के लिए 35% आरक्षण, 24 घंटे बिजली और ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों के सुधार का वादा किया।
एनडीए ने क्या वादे किए?
एनडीए ने कौशल जनगणना और मेगा स्किल सेंटर के ज़रिए 1 करोड़ से ज़्यादा सरकारी नौकरियों और रोज़गार का वादा किया। हर ज़िले में मेगा स्किल सेंटर खोलकर बिहार को एक वैश्विक शिक्षा केंद्र बनाने का भी वादा किया। हर ज़िले में एक फ़ैक्टरी और 10 औद्योगिक पार्क खोलने का भी वादा किया। 100 एमएसएमई पार्क और 50,000 कुटीर उद्योग स्थापित करने का वादा किया।
एक डिफेंस कॉरिडोर और एक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग पार्क विकसित करने की बात कही।
एनडीए ने एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने का वादा किया। मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना के तहत महिलाओं को ₹2 लाख तक की आर्थिक सहायता प्रदान की गई। चुनाव से ठीक पहले लाखों महिलाओं के खातों में इस योजना की धनराशि पहुँची, जिसने एनडीए की प्रचंड जीत में अहम भूमिका निभाई। एनडीए ने किसान सम्मान निधि को बढ़ाकर ₹9,000 सालाना करने का भी वादा किया। कृषि अवसंरचना में ₹1 लाख करोड़ का निवेश और मछुआरों को ₹9,000 सालाना सहायता देने का भी वादा किया।
एनडीए गठबंधन ने एससी/एसटी छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए ₹2,000 मासिक सहायता, ₹5 लाख तक मुफ्त इलाज और एक विश्वस्तरीय मेडिकल सिटी और फिल्म सिटी स्थापित करने का वादा किया। इसके साथ ही, 7 नए एक्सप्रेसवे और 3,600 किलोमीटर रेलवे लाइन, 4 नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और पटना समेत 4 अन्य शहरों में मेट्रो रेल का वादा किया गया। 50 लाख नए पक्के मकान बनाने की भी बात कही गई। ईसीबी के लिए ₹10 लाख की सहायता का वादा और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन भी गेमचेंजर साबित हुआ।
गरीबों के कल्याण के लिए पंचामृत गारंटी दी गई। इसमें मुफ़्त राशन, 125 यूनिट तक मुफ़्त बिजली, ₹5 लाख तक मुफ़्त स्वास्थ्य सेवा, 50 लाख पक्के घर और सामाजिक सुरक्षा पेंशन शामिल थी।