- चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैं‎डिंग हुई नहीं ‎कि रूस का मून मिशन लूना-25 तैयार

चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैं‎डिंग हुई नहीं ‎कि रूस का मून मिशन लूना-25 तैयार

-दोनों के हैं अलग-अलग रास्ते, चांद पर पहले कदम रखने की लगी होड़
नई दिल्ली । भारत के चंद्रयान 3 की सॉफ्ट लैं‎‎डिंग अभी हुई भी नहीं ‎कि रूस अपना मून ‎मिशन लूना -25 लांच करने वाला है। लगभग 50 साल के अंतराल के बाद रूस 11 अगस्त को मून मिशन शुरू करने वाला है। वह चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर रोवर उतारने वाला पहला देश बनने की दौड़ में शामिल होने की योजना बना रहा है। जानकारी के अनुसार चंद्रमा के साउथ पोल पर पानी का एक संभावित स्रोत पाए जाने की उम्मीद लंबे समय से वैज्ञानिकों को है।

Russia अब भेजेगा अपना 'चंद्रयान', Luna-25 Mission को 11 अगस्त को करेगा  लॉन्च, क्या यह हमारे चंद्रयान-3 से पहले चांद पर उतरेगा, यहां जानिए - Russia  will launch Luna 25 ...
 जो वहां भविष्य में मानव के रहने के लिए जरूरी है। इस दिशा में खोज के लिए भारत अपने चंद्रयान-3 के साथ आगे बढ़ चुका है, जिसे 14 जुलाई को लॉन्च किया गया था। मगर सवाल यह है कि क्या रूस का मिशन भारत के चंद्रयान से पहले चांद के साउथ पोल पर उतरने की को‎शिश है? भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने कहा है कि वह 23 अगस्त के आसपास चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग करने की योजना बना रहे हैं। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने कहा कि उसके लूना-25 अंतरिक्ष यान को चंद्रमा तक उड़ान भरने में पांच दिन लगेंगे। फिर उसके दक्षिणी ध्रुव के पास संभावित लैंडिंग की तीन जगहों में से एक पर उतरने से पहले लूना-25 चांद की कक्षा में 5-7 दिन बिताएगा। टाइम टेबल के अनुसार लूना-25 चंद्रमा की सतह पर उतरने में चंद्रयान-3 की बराबरी कर सकता है।
chandrayaan 3 and russia luna 25 mission difference russia could reach Moon  sooner - Chandrayaan-3 और Russia Luna 25 Mission में कॉम्पीटिशन! मून मिशन  में पहले कौन मारेगा बाजी

वैज्ञा‎निकों की मानें तो उबड़-खाबड़ इलाका होने से चांद के साउथ पोल पर उतरना मुश्किल हो जाता है। मगर दक्षिणी ध्रुव एक बेशकीमती जगह है। क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना है कि वहां काफी मात्रा में बर्फ मौजूद हो सकती है। जिसका इस्तेमाल ईंधन और ऑक्सीजन निकालने के साथ-साथ पीने के पानी के लिए भी किया जा सकता है। रोस्कोस्मोस ने कहा कि दोनों मिशन एक-दूसरे के रास्ते में नहीं आएंगे क्योंकि उन्होंने अलग-अलग इलाकों में लैंडिंग की योजना बनाई है। रोस्कोस्मोस के बयान में कहा गया कि ‘ऐसा कोई खतरा नहीं है कि दोनों अंतरिक्ष यान एक-दूसरे के रास्ते में आएं या टकराएं। चंद्रमा पर सभी के लिए पर्याप्त जगह है।
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बता दें ‎कि चंद्रयान-3 को दो हफ्ते तक प्रयोग चलाने के लिए डिजाइन किया गया है, जबकि लूना-25 चंद्रमा पर एक साल तक काम करेगा। 1.8 टन के द्रव्यमान और 31 किलोग्राम (68 पाउंड) वैज्ञानिक उपकरण ले जाने के साथ लूना-25 जमे हुए पानी की मौजूदगी का परीक्षण करने के लिए 15 सेमी. (6 इंच) की गहराई से चट्टान के नमूने लेने के लिए एक स्कूप का उपयोग करेगा। जो चंद्रमा पर मानव जीवन को संभव बना सकता है। मूल रूप से अक्टूबर 2021 में लॉन्च किए जाने वाले लूना-25 मिशन में लगभग दो साल की देरी हुई है। 
चांद पर पहले कदम रखने की होड़! भारत का चंद्रयान-3 या रूस का मून मिशन लूना-25,  कौन मारेगा बाजी? - Could russia luna25 beat chandrayaan3 in race to be  first on south



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