- आरएसएस ने की महिला आरक्षण की पैरवी, ‎विशेष सत्र में आ सकता है ‎म‎हिला ‎विधेयक

आरएसएस ने की महिला आरक्षण की पैरवी, ‎विशेष सत्र में आ सकता है ‎म‎हिला ‎विधेयक

-राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तीन ‎दिवसीय बैठक में उठा म‎हिला सश‎‎क्तिकरण का मुद्दा
नई दिल्ली । आरएसएस की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में महिला सशक्तिकरण के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई। पुणे में हुई बैठक के बाद अटकलें तेज हो गईं कि नरेंद्र मोदी सरकार संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण विधेयक ला सकती है। गौरतलब है ‎कि संसद का विशेष सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है।

महिला आरक्षण का मुद्दा उठायेगा बीआरएस, विशेष सत्र को बताया स्टंट - News  Nation
 आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने तीन दिवसीय बैठक के समापन पर कहा, महिलाओं को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। इसलिए संघ प्रेरित संगठन सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इस विषय पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में चर्चा की गई। इस कार्यक्रम में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित संघ के शीर्ष नेताओं ने भाग लिया। वहीं, बैठक के पहले दिन भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल हुए थे। आरएसएस ने कई क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना की। संघ की शताब्दी योजना के तहत इस विषय पर प्रमुखता से चर्चा की गई। 


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आरएसएस की यह बैठक मोहन भागवत के भाषण के साथ समाप्त हुई। इसमें संघ से जुड़े 36 संगठनों के 246 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। मनमोहन वैद्य ने कहा कि भारतीय चिंतन में परिवार सबसे छोटी इकाई है। परिवार में महिलाओं की भूमिका सबसे प्रमुख होती है। इसलिए महिलाओं को समाज के हर वर्ग में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। इस बैठक ने नई दिल्ली के सत्ता गलियारों तक राजनीतिक हलचलें तेज कर दीं। कयास लगाए जाने लगे हैं कि विशेष सत्र के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार नए सिरे से चर्चा के लिए महिला आरक्षण विधेयक ला सकती है। केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर को होने वाले संसद के विशेष सत्र के एजेंडे की घोषणा कर दी है। 
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हालांकि, इंडिया गठबंधन को इन एजेंडों पर भरोसा नहीं है। गठबंधन का कहना है कि इसे संपूर्ण नहीं माना जाना चाहिए। महिला आरक्षण बिल में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33प्र‎‎तिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का प्रावधान है। इसे पहली बार 1996 में देवेगौड़ा के नेतृत्व वाली संयुक्त मोर्चा की सरकार द्वारा 81वें संशोधन विधेयक के रूप में संसद के निचले सदन में पेश किया गया था। गठबंधन युग में यह सदन की मंजूरी पाने में विफल रहा। यूपीए शासन के दौरान 2010 में इसे राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था। 
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