- प्रति 1000 व्यक्ति मृत्यु दर साल 2023 में महज 1.2 रही
नई दिल्ली । कतर सबसे कम मृत्यु दर वाले देशों की सूची में पहले पायदान पर है। दूसरे शब्दों में कहें तो कतर में जीवन प्रत्याशा दुनिया के बाकी सभी देशों के मुकाबले सबसे ज्यादा है। कतर की प्रति 1000 व्यक्ति मृत्यु दर साल 2023 में महज 1.2 है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सूची में दूसरे नंबर पर संयुक्त अरब अमीरात है। यूएई में मृत्यु दर 1.5, बहरीन में 2.4, कुवैत में 2.7, मालद्वीव में 2.8, सऊदी अरब में 3.5, फिलिस्तीन में 3.5, जॉर्डन में 3.9 और सोलोमन आइलैंड में 4.3 है। वहीं, भारत की बात की जाए तो प्रति एक हजार व्यक्ति मृत्यु दर 7.2 रही है। इसे घटाने के लिए भारत सरकार को बेहतर हेल्थकेयर सिस्टम पर ध्यान देना होगा, क्योंकि कम मृत्यु दर वाले देशों में बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधाएं हैं।अगर सबसे ज्यादा मृत्यु दर वाले देशों की बात की जाए तो बुल्गारिया में प्रति हजार व्यक्ति मृत्यु दर 2023 में 15.4 के साथ सबसे ज्यादा है।

वहीं, यूक्रेन में लगातार चल रहे युद्ध के बाद भी ये दर 14.6 है। हालांकि, यूक्रेन इस मामले में दूसरे पायदान पर है। इसके अलावा लेसोथो में प्रति एक हजार व्यक्ति मृत्यु दर 14.3, लिथुएनिया में 13.6, सर्बिया में 13.2, क्रोएशिया में 13.1, रोमानिया में 13 और जॉर्जिया में 12.8 है। यूक्रेन के साथ जंग लड़ रहा रूस भी सबसे ज्यादा मृत्यु दर वाले शीर्ष 10 देशों की सूची में 10वें पायदान पर है। रूस में तमाम सुविधाओं के बाद भी प्रति हजार व्यक्ति मृत्यु दर 12.7 है। मृत्यु दर विशेष अवधि के दौरान किसी विशेष आबादी में होने वाली मौतों की संख्या है। आमतौर पर मृत्यु दर को प्रति वर्ष प्रति एक हजार लोगों पर होने वाली मौतों की संख्या के तौर पर दर्शाया जाता है। उच्च मृत्यु दर और अपेक्षाकृत कम प्रजनन दर व जन्म दर वाले देशों को जनसंख्या में गिरावट का खतरा है। देशों के बीच मृत्यु दर काफी अलग होती है। देखा गया है कि विकसित देशों में विकासशील देशों के मुकाबले मृत्यु दर कम होती है। इसका कारण उनका बेहतर हेल्थकेयर नेटवर्क और सुविधाएं मजबूत होती हैं।

कई कम विकसित देश पेयजल, भोजन और स्वच्छता जैसी बुनियादी जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इससे बीमारी और दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ग्लोबल हेल्थ डेटा एक्सचेंज के मुताबिक, 1990 से 2019 तक हृदय रोग दुनियाभर में मौत का मुख्य कारण रहा है, जो आमतौर पर खाने की खराब आदतों से होने वाले मोटापे के कारण होता है। मधुमेह यानी शुगर की बीमारी भी हमारी खानपान की आदतों से जुड़ी है। विकसित देशों में सबसे आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के कारण मृत्यु दर कम रहती है। इसके अलावा कैंसर दुनिया में मृत्यु का दूसरा बड़ा कारण बना हुआ है। मृत्यु के कम पूर्वानुमानित कारणों की वजह से मृत्यु दर में भी अस्थायी वृद्धि देखी जा सकती है। विशेष रूप से युद्ध कर रहे देशों में अचानक मृत्यु दर बढ़ सकती है। वहीं, अगर कोई देश नागरिक अशांति से गुजर रहा है तो वहां भी मृत्यु दर बढ़ सकती है। इसके अलावा अचानक किसी बीमारी का प्रकोप फैलने पर भी मृत्यु दर में बढ़ोतरी हो सकती है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 के कारण साल 2020-21 में मृत्यु दर के आंकड़ों में सभी देशों में जबरदस्त वृद्धि हुई थी। क्रोएशिया में 2001 से साल-दर-साल मृत्यु दर में बढ़ोतरी में 50 फीसदी के लिए मोटापा जिम्मेदार है।

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वहीं, सर्बिया में मृत्यु दर ज्यादा होने का कारण बुजुर्ग आबादी का ज्यादा होना है। इसके अलावा वहां धूमपान के कारण भी बड़ी संख्या में मौतें होती हैं। ज्यादा मृत्यु दर वाले देशों में हृदय रोग और कैंसर सबसे बड़े दो कारण के तौर पर चिह्नित किए गए हैं। इसके अलावा आत्महत्या, सड़क दुर्घटनाएं, हत्या, अल्कोहल प्वायजनिंग, स्मोकिंग, तंबाकू का सेवन भी मृत्यु दर में बढ़ोतरी के बड़े कारण हैं। कुछ देशों में ज्यादा वजन और मोटापा भी मृत्यु दर में बढ़ोतरी का कारण बन रहे हैं।