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8 साल तक लटकी रही केजरीवाल सरकार की ये स्कीम अब केंद्र ने खोला रास्ता
नई दिल्ली । सीएम अरविंद केजरीवाल ने बताया कि प्रीमियम बस एग्रीगेटर स्कीम को लागू करने के लिए पिछले आठ बरसों के दौरान कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। मई 2016 में दिल्ली सरकार ने इस स्कीम को लाने का प्रस्ताव मंजूर किया था, लेकिन उस वक्त के एलजी नजीब जंग ने पॉलिसी को मंजूरी देने से इनकार कर दिया। फिर जून 2016 में बीजेपी विधायक विजेंद्र गुप्ता ने एंटी करप्शन ब्रांच में शिकायत कर दी कि इस स्कीम में भ्रष्टाचार हो गया है, जबकि तब तक स्कीम आई भी नहीं थी।
सारी जांच हुई, लेकिन कुछ नहीं निकला। उसके बाद 2017 से 2019 के बीच ट्रांसपोर्ट विभाग ने आपत्तियां लगाई कि मोटर वीकल एक्ट के तहत ऐसी स्कीम नहीं लाई जा सकती, लेकिन सौभाग्य से अगस्त 2019 में भारत सरकार ने मोटर वीकल एक्ट के प्रावधानों में संशोधन कर दिया, जिससे बस एग्रीगेटर स्कीम लाने का रास्ता साफ हो गया, लेकिन फिर 2020-21 में कोरोना आ गया। सीएम ने बताया कि उसके बाद 2022 में हमने इस पूरी स्कीम को दोबारा से ड्राफ्ट किया और 18 अगस्त 2022 को लोगों के सुझाव और आपत्तियां लेने के लिए इसे जारी किया।
8 सितंबर तक लोगों के कॉमेंट्स आए, जिन पर कानूनी सलाह लेने के बाद 8 मई 2023 को दिल्ली सरकार ने स्कीम के ड्राफ्ट को मंजूरी दी। 25 मई को एलजी ने भी ड्राफ्ट स्कीम को एप्रूव कर दिया, जिसके बाद 29 मई को इसे दोबारा पब्लिक के कॉमेंट्स के लिए डाला गया। 27 जुलाई को ट्रांसपोर्ट विभाग ने स्टेकहोल्डर्स के साथ मीटिंग की। उसमें भी कुछ नए सुझाव और कॉमेंट्स मिले। इन सबके आधार पर स्कीम में कुछ मामूली बदलाव करने के बाद इसे फाइनल एप्रूवल के लिए एलजी के पास भेजा जा रहा है।
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