नई दिल्ली । राज्यसभा से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त का दर्जा, सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर होगा। आयोग में नियुक्ति रहते तक उनके खिलाफ कोई भी मुकदमा नहीं चल सकेगा। चुनाव आयुक्त नियुक्ति सेवा शर्तें और पदवधि विधेयक ध्वनि मत से राज्यसभा में पारित कर दिया गया है।
मुख्य चुनाव आयुक्त,चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य समिति करेगी। कानून मंत्री की अध्यक्षता में तीन सदस्यों की सर्च कमेटी होगी।
इस कमेटी में दो केंद्र सरकार के सचिव होंगे। सर्च कमेटी चयन समिति के लिए पांच नाम का पैनल तैयार करेगी। प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में तीन सदस्य चैनल समिति होगी। जिसमें प्रधानमंत्री, उनके द्वारा नियुक्त एक मंत्री और विपक्षी दल का नेता समिति में शामिल होगा। चुनाव आयोग में कार्यरत अवधि में किसी के भी खिलाफ किसी किस्म का कोई मुकदमा नहीं चल सकेगा। सभी चुनाव आयुक्त को सुप्रीम कोर्ट के जज के बराबर दर्जा होगा। उसी तरीके की सुविधा दी जाएगी। इस बिल का विपक्ष द्वारा काफी विरोध किया गया था। इसे संविधान के खिलाफ भी बताया गया था। लेकिन सरकार ने बिना किसी संशोधन के इसे पारित कर दिया।