- महिला कुली बानी दुल्हन: बैतूल रेलवे स्टेशन पर हुई हल्दी और मेहंदी की रस्म

सांसद दुर्गादास उइके ने दुर्गा को लगाई मंहेदी बैतूल (ईएमएस)। मध्य प्रदेश के बैतूल में इकलौती महिला कुली की शादी को लेकर तैयारी जोरों से चालू है। बैतूल रेलवे स्टेशन पर महिला कुली की हल्दी और मेहंदी की रस्म में की गईं। कार्यक्रम में सांसद दुर्गादास उइके, रेलवे स्टाफ और आरपीएफ स्टाफ के साथ ही शहर के समाजसेवी शामिल हुए। बैतूल रेलवे स्टेशन के वेटिंग रूम में महिला कुली दुर्गा बोरकर की मेहंदी और हल्दी की रस्म अदा की गई। बताया जा रहा हैं शादी बैतूल में कल्याण केंद्र में होगी। हल्दी-मेहंदी के कार्यक्रम में सांसद दुर्गादास उइके शामिल हुए और उन्होंने भी दुर्गा को हल्दी लगाई। हल्दी और मेहंदी की रस्म अदा होने के बाद महिलाओं ने डांस भी किया। दरअसल, दुर्गा बहुत ही गरीब परिवार की बेटी है। दुर्गा के पिता मुन्नालाल बोरकर बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली थे और उन पर तीन बेटियों की जिम्मेदारी थी, लेकिन स्वास्थ्य खराब होने के चलते उनका कुली का काम बंद हो गया। इसके बाद दुर्गा ने परिवार की जिम्मेदारी उठाने के लिए अपने पिता का काम करने का निर्णय लिया और 2 साल तक रेलवे के चक्कर लगाने के बाद दुर्गा को अपने पिता का बिल्ला मिल गया। साल 2011 से दुर्गा बैतूल रेलवे स्टेशन पर कुली का काम कर रही है। दुर्गा बैतूल की एकमात्र महिला कुली है। अपने काम के प्रति दुर्गा का समर्पण और मेहनत देखकर रेलवे स्टाफ और आरपीएफ स्टाफ के लोग हमेशा दुर्गा से खुश रहते हैं। दुर्गा की जिंदगी में खुशहाली लाने के लिए आरपीएफ थाने में पदस्थ आरक्षक फराह खान ने एएसआई दीपक देशमुख से बात की। इस पर देशमुख के दोस्त सुरेश भूमरकर ने शादी के लिए हामी भर दी। पेशे से किसान सुरेश से दुर्गा की बैतूल रेलवे स्टेशन के कल्याण केंद्र में होगी। शादी का कुछ खर्च आरपीएफ स्टाफ करेगा। सांसद दुर्गादास का कहना है कि सौभाग्य का विषय है कि हमारी दुर्गा बिटिया देश की बेटियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। कुली के रूप में अपने सामर्थ्य के साथ में दायित्व निभा रही है और अपने परिवार के उदर पोषण के लिए यह काम कर रही है। महिला सशक्तिकरण के लिए यह बड़ा उदाहरण है। दुल्हन दुर्गा ने बताया, मेरे पिता रेलवे स्टेशन पर कुली थे और उन्होंने बोला कि अब मुझसे काम नहीं होगा। लेकिन परिवार का कैसे गुजारा होगा। मैंने सोचा कि मैं घर का सहारा बनूंगी। तब रेलवे अधिकारियों ने सहारा दिया और पिता का बिल्ला दिलवाया। आरपीएफ आरक्षक खान का कहना है, दुर्गा को मैं ढाई साल से जानती हूं और देखती हूं कि बहुत मेहनत करती है। मैंने बोला कि शादी क्यों नहीं करती हो? उसने कहा परिवार की जिम्मेदारी है। लेकिन हम लोगों ने प्रयास किया और रिश्ता देखा दुर्गा तैयार हो गई।

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