- केजरीवाल की डाइट पर कोर्ट में वकीलों ने दी दलीलें

नई दिल्ली आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जेल के अंदर इंसुलिन देने की मांग को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने केजरीवाल की अर्जी पर फैसला सोमवार तक के लिए सुरक्षित रख लिया है। स्पेशल जज कावेरी बावेजा ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद कहा कि वह इस पर फैसला 22 अप्रैल को सुनाएगी। हालांकि इस दौरान उन्होंने तिहाड़ जेल और ईडी को इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा। इससे पहले, केजरीवाल के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि केजरीवाल की नए आवेदन की कॉपी ईडी को मुहैया करा दी गई है। सिंघवी ने तर्क दिया कि उनका मुवक्किल 22 वर्षों से मधुमेह से पीड़ित है, जिसके लिए उसे प्रतिदिन इंसुलिन की आवश्यकता होती है। उनकी गिरफ्तारी 21 मार्च को हुई है। उसके बाद, यह सामान्य आधार है जिसका वो पालन करने में असमर्थ हैं। उन्होंने कहा कि मेरा मुवक्किल बार-बार कह रहा है कि उनका डॉक्टर शुगर लेवल की निगरानी कर सकता है, इसकी लगातार निगरानी होनी चाहिए। सिंघवी ने केजरीवाल के शुगर लेवल की निगरानी करने वाले चार्ट का हवाला दिया। सिंघवी ने ईडी के आम खानेवाले बयान पर कहा कि केजरीवाल को जेल में सिर्फ तीन बार आम भेजे गए। आठ अप्रैल के बाद कोई आम नहीं भेजा गया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने चाय के साथ चीनी का इस्तेमाल किया। उन्होंने अपनी चाय में शुगर फ्री का इस्तेमाल किया, क्योंकि वो मधुमेह रोगी हूं। ईडी ने आलू-पूरी खाने का आरोप लगाया। सिंघवी ने कहा ये सरासर गलत आरोप है। 48 बार भेजे गए भोजनों में केवल एक बार केजरीवाल ने नवरात्र प्रसाद के रूप में आलू पूरी खाई। सिंघवी ने कहा कि मैं अदालत से जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का अनुरोध कर रहा हूं कि पर्याप्त उपचार उपलब्ध कराया जाए। इसका मतलब यह नहीं है कि मैं एक कैदी हूं, मुझे स्वास्थ्य का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि क्या मेरा मुवक्किल गैंगस्टर है? क्या वह कट्टर अपराधी है कि उन्हें अपने डॉक्टर के साथ रोजाना 15 मिनट की वीसी नहीं मिल सकती। केजरीवाल के एक अन्य वकील रमेश गुप्ता ने कहा कि मैं पहली बार देख रहा हूं कि जेल अधिकारियों की तरफ से भी विशेष अधिवक्ता उपस्थित हैं। आम आदमी ही आम खा रहा है। आम आदमी आम नहीं खाएगा तो क्या मशरूम खाएगा? इस पर सिंघवी ने कहा- स्वास्थ्य मेरा अधिकार है। मैं 15 मिनट की वीसी मांग रहा हूं। मैं मेडिकल जमानत या अस्पताल में इलाज की मांग नहीं कर रहा हूं। इस पर ईडी ने कहा कि कानूनी मुलाकातों का पहले भी दुरुपयोग किया गया है। मुझे समझ नहीं आता कि वो स्वतंत्र जांच के लिए क्यों कतरा रहे हैं? वे ऐसी रिपोर्टें तैयार कर रहे हैं जो विशेषज्ञों की राय के अनुरूप नहीं हैं। कोई भी डॉक्टर इन खाद्य पदार्थों का सेवन करने के लिए नहीं कहेगा। कोई विशेष उपचार तब तक नहीं दिया जाना चाहिए, जब तक यह न दिखाया जाए कि जेल के अंदर उपचार नहीं दिया जा रहा है।

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