MP News: शहडोल जिला अस्पताल की महिला डॉक्टर सदमे में हैं। एक महिला कर्मचारी थाने पहुंच गई और ड्यूटी के दौरान पुलिस सुरक्षा की मांग करने लगी, वहीं दूसरी महिला डॉक्टर ने अपनी शिकायत में कहा है कि हमें खुद नहीं पता कि सिविल इंजीनियर हमारे साथ हैं।
एक तरफ बंगाल की घटना के बाद शासन की ओर से मध्य प्रदेश में महिला स्वास्थ्य क्लीनिक को लेकर अपील की गई, वहीं दूसरी ओर आदिवासी समुदाय के शहडोल जिला अस्पताल में एक महिला डॉक्टर और एक महिला रेडियोग्राफर ने सिविल सर्जन को पुलिस और प्रशासन की कमजोर सुरक्षा की बात बताई। एक महिला कर्मचारी थाने पहुंच गई और ड्यूटी के दौरान पुलिस सुरक्षा की मांग करने लगी, जबकि दूसरी महिला डॉक्टर ने अपनी याचिका में कहा है कि हमें खुद नहीं पता कि सिविल इंजीनियर हमारे साथ हैं।
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दोनों महिला कर्मचारियों की शिकायत के बाद जिला अस्पताल में भर्ती का हाल बुरा है। दोनों महिलाएं अपनी-अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर कंसल्टेंट और स्पाइस ऑफिस के चक्कर लगा रही उनकी आवाज राज्य सरकार तक नहीं पहुंच रही है। महिला कर्मचारियों का आरोप है कि प्रशासन की यह हालत शहडोल बंगाल में दोगुनी हो सकती है। दोनों महिला कर्मचारियों ने अपनी शिकायत में एक सामान्य बात लिखी है जो जिला अस्पताल प्रबंधन पर कई सवाल खड़े कर रही है। दोनों महिला कर्मचारी बेबाकी से कह रही हैं कि हमारे अलावा भी जिला अस्पताल में कई महिला कर्मचारियों की भर्ती कर उनका शोषण किया जा रहा है, लेकिन डर के कारण कोई आवाज नहीं उठा रही है।
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अगर इस मामले की स्वतंत्र जांच हो जाए तो पूरे देश में बड़ा गड़बड़झाला सामने आएगा। असल शहडोल जिला अस्पताल में सिविल सर्जन के पद पर डॉ जीएस परिहार स्टोर्स हैं। अपने प्रभाव से वे अक्सर बाबसी में ही रहते हैं। इस बार मार्च बैच से जिला अस्पताल की महिला कर्मचारी अस्पताल प्रबंधन के कटघरे में हैं। महिला कर्मचारियों का आरोप है कि सिविल सर्जन अस्पताल के स्की में सामान मिलने जैसे गंभीर मामले को सामान्य मामला बताकर आउटसोर्सिंग की जा रही है जांच, उन जांचों, उन मामलों में उनसे कुछ भी नहीं कहा गया है।