- Haryana News:- हरियाणा में चुनाव के बीच किसान संगठनों का 'न्याय मार्च', किसकी बढ़ेंगी मुश्किलें?

Haryana News:- हरियाणा में चुनाव के बीच किसान संगठनों का 'न्याय मार्च', किसकी बढ़ेंगी मुश्किलें?

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के बीच भारतीय किसान एकता के मार्च ने भाजपा के साथ-साथ जेजेपी और इंडियन नेशनल लोकदल जैसी पार्टियों की टेंशन बढ़ा दी है। भाजपा पहले से ही जाट-किसानों की नाराजगी से जूझ रही है। अब इस मार्च को एक नए मोर्चे के तौर पर देखा जा रहा है।

हरियाणा में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। राजनीति का कुरुक्षेत्र तैयार है और सत्ता की इस जंग में अलग-अलग पार्टियों के योद्धा उतर चुके हैं। अब भारतीय किसान एकता संघ (भाकिए) ने चुनावों के बीच 18 सितंबर से न्याय मार्च निकालने का ऐलान किया है। डबवाली गांव से शुरू होने जा रहे इस मार्च ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ जननायक जनता पार्टी (जाजपा) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) की टेंशन बढ़ा दी है।

हरियाणा में हैट्रिक बनाने के मकसद से उतरी भाजपा के खिलाफ जाट-किसानों की नाराजगी की चर्चाएं पहले से ही हैं, अब इस मार्च को एक नए मोर्चे के तौर पर देखा जा रहा है। भाकिए के हरियाणा अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने इस मार्च का ऐलान किया है। औलाख ने जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के दुष्यंत चौटाला पर भी निशाना साधा, जबकि भाजपा छोड़कर इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) में शामिल हुए आदित्य चौटाला की आलोचना की। उन्होंने कहा है कि किसानों को नुकसान पहुंचाने वाले नेताओं को बेनकाब करने का यही सही समय है। इस न्याय मार्च का मुख्य फोकस किसानों को किसान कर्ज माफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और यूपी के लखीमपुर में किसानों की मौत के मामले में न्याय की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों पर की गई कार्रवाई की याद दिलाना है। औलाख ने यह भी कहा है, "खनौरी और शंभू बॉर्डर पर कुछ नेताओं ने किसानों पर सीधी फायरिंग का आदेश दिया था। 

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जब ये नेता वोट मांगने आएं तो इन हरकतों को याद रखें। ऐसे नेताओं का विरोध करें।" गौरतलब है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी, लखीमपुर में मारे गए किसानों को न्याय और किसान कर्ज माफी की मांग को लेकर किसान 218 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान धरने पर बैठे हैं। किसान नेताओं के मुताबिक इस आंदोलन के दौरान हरियाणा में 433 किसान घायल हुए हैं। इस आंदोलन का नेतृत्व सरवन सिंह पंधेर, ताजवीर सिंह, महेश चौधरी जैसे नेता कर रहे हैं।

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