जाति जनगणना अपडेट केरल के पलक्कड़ में हुई संबंधित संगठनों की बैठक के बाद आरएसएस ने साफ कर दिया था कि वह जाति जनगणना के खिलाफ नहीं है, लेकिन इसका इस्तेमाल राजनीतिक फायदे के लिए नहीं किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री मोदी ने महाराष्ट्र में कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों पर समाज को बांटने के लिए जाति जनगणना का मुद्दा उठाने का आरोप लगाया था।
नई दिल्ली। जाति जनगणना होने पर पहली बार देश में मुसलमानों की जातियों की भी गणना की जाएगी। भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने इसके लिए जरूरी तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी महीने महाराष्ट्र में एक जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुसलमानों में जाति जनगणना के मुद्दे पर विपक्ष की चुप्पी पर निशाना साधा था।
प्रधानमंत्री मोदी के इस बयान को हिंदुओं की तरह मुसलमानों में भी जाति जनगणना कराने के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि कोरोना महामारी और फिर लोकसभा चुनाव के कारण अटकी 2021 की जनगणना 2025 में होगी।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार ने जनगणना के साथ-साथ जाति जनगणना कराने का फैसला नहीं किया है। लेकिन जाति जनगणना के लिए विपक्ष के बढ़ते दबाव और इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश को देखते हुए मोदी सरकार इसे कराने का फैसला कर सकती है। भाजपा और केंद्र सरकार दोनों ने बार-बार स्पष्ट किया है कि वे जाति जनगणना के खिलाफ नहीं हैं।
पीएम मोदी ने पहले ही साफ कर दिया था कि जाति जनगणना का मुद्दा सिर्फ हिंदुओं को बांटने के लिए उठाया जाता है, जबकि हिंदुओं की तरह भारतीय मुसलमान भी कई जातियों में बंटे हुए हैं। वैसे, असम में हिमंत बिस्वा सरमा की भाजपा सरकार पहले ही मुसलमानों की जाति जनगणना करा चुकी है।
भारत में हर 10 साल में जनगणना कराने वाले रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त ने जाति जनगणना के मामले में इसके लिए जरूरी तैयारियां शुरू कर दी हैं।
भारत में यह पहली जनगणना होगी, जिसमें सभी आंकड़े डिजिटल तरीके से एकत्रित किए जाएंगे। इसके लिए तैयार किए गए पोर्टल में जाति जनगणना के आंकड़ों का भी प्रावधान किया जा रहा है।
गौरतलब है कि पिछली बार 2011 में जनगणना के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक और जाति जनगणना के आंकड़े भी एकत्रित किए गए थे। लेकिन 1931 में हुई जाति जनगणना में 4,147 जातियों की तुलना में 2011 में 86.80 लाख से अधिक जातियां पंजीकृत की गईं। जातियों में इस अप्रत्याशित वृद्धि और अन्य अनियमितताओं के कारण पहले मनमोहन सिंह सरकार और बाद में मोदी सरकार ने इसके आंकड़े जारी न करने का फैसला किया।