बेंगलुरु मैट्रिमोनियल कंपनी पर दुल्हन न ढूंढ पाने पर जुर्माना बेंगलुरु मैट्रिमोनियल कंपनी पर दुल्हन न ढूंढ पाने पर जुर्माना उपभोक्ता अदालत ने कंपनी पर 60 हजार रुपये का जुर्माना तब लगाया जब वह वैवाहिक दुल्हन न ढूंढ पाने में विफल रही। दरअसल, लड़के के पिता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था और आरोप लगाया था कि कंपनी ने उनके बेटे के लिए दुल्हन ढूंढ पाने की सौ फीसदी गारंटी ली थी, लेकिन कंपनी अपना वादा पूरा नहीं कर सकी।
नई दिल्ली। बेंगलुरु उपभोक्ता अदालत ने दुल्हन न ढूंढ पाने पर एक मैट्रिमोनियल कंपनी पर 60 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। दरअसल, लड़के के पिता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था और आरोप लगाया था कि कंपनी ने उनके बेटे के लिए दुल्हन ढूंढ पाने की सौ फीसदी गारंटी ली थी, लेकिन कोई रिश्ता नहीं दिखाया। आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला बेंगलुरु के एमएस नगर में रहने वाले विजय कुमार केएस अपने बेटे बालाजी की शादी के लिए लड़की ढूंढ रहे थे।
इसके लिए विजय कुमार ने मार्च 2024 में एक मैट्रिमोनियल कंपनी की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन कराया। मैट्रिमोनियल कंपनी ने 45 दिन में दुल्हन ढूंढ़ने का वादा किया। इसके लिए शुरुआती फीस के तौर पर 30 हजार रुपए भी लिए गए। पिता ने कंपनी पर लगाए ये आरोप तय समय बीत जाने के बाद जब लड़के के पिता विजय कुमार ने इस बारे में पूछा तो कंपनी की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया। कुछ दिन बाद कंपनी ने अप्रैल के आखिर तक इंतजार करने को कहा।
यह समय भी बीत गया, लेकिन कंपनी ने एक भी रिश्ता नहीं दिखाया। जब विजय कुमार ने इस बारे में कंपनी से बात की तो कंपनी के प्रतिनिधियों ने उनके साथ बदसलूकी की। इसके बाद मई 2024 में विजय कुमार ने बेंगलुरु के कल्याण नगर स्थित मैट्रिमोनियल कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया।
अदालत की तरफ से कंपनी को कानूनी नोटिस भेजा गया, लेकिन कंपनी की तरफ से किसी ने इस नोटिस का जवाब नहीं दिया। विजय की शिकायत पर कोई आपत्ति भी दर्ज नहीं की गई। ऐसे में 28 अक्टूबर को कोर्ट ने 'दिल मिल' नाम की इस मैट्रिमोनियल कंपनी के खिलाफ आदेश जारी किया।
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कंपनी 30 हजार रुपए 6 प्रतिशत ब्याज के साथ लौटाए। साथ ही कंपनी को अपनी खराब सेवाओं के लिए पीड़ित को 20 हजार रुपए मुआवजा देने का भी आदेश दिया।
उपभोक्ता कोर्ट ने ग्राहक को हुई मानसिक पीड़ा के लिए 5000 रुपए और कानूनी कार्रवाई में खर्च हुए 5000 रुपए भी देने का आदेश दिया।
उपभोक्ता कोर्ट ने वर्ष 2018 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अगर आरोपी पक्ष कोर्ट में पेश होकर अपनी ओर से हलफनामा दाखिल नहीं करता है तो आरोपों को सही माना जा सकता है।