रिटायरमेंट के बाद डीवाई चंद्रचूड़ कई काम कर सकते हैं लेकिन एक काम करने पर उन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। दरअसल यह प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों के लिए है।
नई दिल्ली: डीवाई चंद्रचूड़ रविवार को देश के मुख्य न्यायाधीश के पद से रिटायर हो गए। उनकी जगह जस्टिस संजीव खन्ना ने ली है। जस्टिस संजीव खन्ना ने आज देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली है। राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है।
संविधान के अनुच्छेद 124 (7) के चलते डीवाई चंद्रचूड़ देश में कहीं भी वकालत नहीं कर सकते। यानी सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने के बाद सीजेआई या जज वकालत का पेशा नहीं अपना सकते। हालांकि, वह दूसरी भूमिकाएं निभा सकते हैं।
कानून के जानकारों का कहना है कि ऐसा प्रावधान इसलिए किया गया है ताकि न्यायपालिका की पवित्रता और निष्पक्षता बनी रहे। इससे पक्षपात की कोई संभावना नहीं रहती।
दरअसल, इससे एक बात जो निकलकर आती है वो ये कि अगर देश के पूर्व CJI वकालत करेंगे तो उनके पिछले पद की गरिमा कमज़ोर हो जाएगी. रिटायरमेंट के बाद क्या कर सकते हैं? पब्लिक सर्विस में आ सकते हैं. राज्यपाल या सरकारी समितियों के सदस्य बन सकते हैं. विवादों में मध्यस्थ बन सकते हैं. भारतीय मध्यस्थता परिषद के सदस्य बन सकते हैं. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसे आयोगों और न्यायाधिकरणों के प्रमुख बन सकते हैं. लॉ स्कूलों में पढ़ा सकते हैं. कानूनी मुद्दों पर लेक्चर दे सकते हैं, लिख सकते हैं. संजीव खन्ना बने देश के नए चीफ जस्टिस आज जस्टिस संजीव खन्ना देश के 51वें चीफ जस्टिस बन गए हैं.
जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की जगह ली है. जस्टिस खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 तक रहेगा. जनवरी 2019 से सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर काम कर रहे जस्टिस संजीव खन्ना कई बड़े मामलों की सुनवाई कर चुके हैं. न्यायमूर्ति खन्ना ईवीएम की विश्वसनीयता बनाए रखने, चुनावी बांड योजना को खत्म करने, अनुच्छेद 370 को खत्म करने और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने जैसे कई महत्वपूर्ण फैसलों का हिस्सा रहे हैं।