मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस दिन को काल भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस वर्ष अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 6.07 बजे से शुरू होगी और अगले दिन 23 नवंबर को शाम 7.56 बजे तक रहेगी।
प्रतिनिधि, टिप्पणी(भैरव अष्टमी 2024)। 22 नवंबर को ब्रह्म योग, इंद्र योग और रवि योग में भैरव अष्टमी मनाई जाएगी. भैरव अष्टमी पर देवाधिदेव महादेव के रूद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरव देव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से साधक को विशेष कार्यों में सफलता और सफलता मिलती है। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक कालाष्टमी के दिन काल भैरव देव की कठिन पूजा करते हैं
धार्मिक विद्वानों के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव पूजा-अर्चना, दान-पुण्य से प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं।
वैदिक पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 6 बजकर 7 मिनट पर शुरू होगी. यह तिथि 23 नवंबर को शाम 56 मिनट पर समाप्त होगी. निशा काल में काल भैरव देव की पूजा की जाती है. इसलिए कालाष्टमी 22 नवंबर को मनाई जाएगी. इसी दिन मासिक कृष्ण जन्मामी भी मनाई जाएगी.
इस दिन ब्रह्म योग के साथ ही इंद्र योग भी बनेगा. इसके अलावा रवि योग भी बनेगा. इन योगों में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी तरह के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है.
भैरव अष्टमी एक सप्ताह दूर है. शेष प्रमुख भैरव मंदिर नया बाजार, सराफा बाजार, माधवगंज, स्टेशन ब्रिज के नीचे शस्त्रागार पूर्ण हनुमान मंदिर और सिटी सेंटर में महाबली मंदिर विराजित भैरव मंदिर और अन्य मंदिरों में स्थापित किए गए हैं।
आदर्श की सफाई की जा रही है. हनुमान जी की तरह ही भैरव जी की मूर्ति भी सिन्दूर से ढकी होती है। मंगोड़े, इमरती, मूंग और फूलद की दाल से बनी कचौरी का भोग विशेष रूप से निष्प्राण होता है. भैरव अष्टमी के साथ 56 भोग और भंडारों का भी आयोजन किया जाता है।