उत्तराखंड में भू कानून लागू होने से पहले ही जमीन पर कब्जे के लिए दस्तखत होने लगे हैं। देवभूमि में लगातार भू-माफियाओं की काली करतूतें उजागर हो रही हैं। अकेले कुमाऊं में ही अब तक की जांच में 134 मामले प्रकाश में आए हैं और जमीन का इस्तेमाल किसानों ने खेती के लिए किया लेकिन फसलें महासभा ने उगानी शुरू कर दीं। यानी होटल रिसॉर्ट किसी ने बना लिया और इस्तेमाल कोई और करने लगा।
उत्तराखंड भूमि कानून उल्लंघन: उत्तराखंड में भूमि कानून लागू होने से पहले ही इसकी शुरुआत हो गई है। देवभूमि में भू-कलाकारों की काली करतूतें लगातार उजागर हो रही हैं। कुमाऊं में ही अब तक की जांच में 134 मामले प्रकाश में आए हैं, खेती के लिए खेती की योजना बनाई गई थी, लेकिन खेती के लिए मगर में खेती शुरू कर दी गई। यानी होटल, रिसॉर्ट किसी ने बना लिया और उसका उपयोग कोई और करने लगा।
अब प्रशासन मुंबई, दिल्ली समेत कई राज्यों के रसूखदारों द्वारा इस जमीन में बोई गई संस्था की फसल को नष्ट करने में जुट गया है। जमीन की लूट में शामिल लोग अब मित्र मछली बन गए हैं। धामी सरकार की अगली कार्रवाई के निर्देश भी जारी हो गए हैं।
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कुमाऊं में सबसे ज्यादा 64 मामले रेगिस्तानी जिलों में हैं और इसके बाद 23 लोगों के भूमि उपयोग का मामला प्रकाश में आया है। राहत की बात यह है कि मार्शल जिले का कारोबार अभी भी भूमाफिया की नजर से दूर है।
इसके बाद आंध्र प्रदेश में जमीन हड़पने का बड़ा खेल शुरू हुआ। साल 2003 में बाद में आंध्र प्रदेश में जमीन लूट का बड़ा खेल शुरू हुआ। वर्ष 2003 के बाद 254 बाहरी लोगों ने विशेष टाइटल के जरिए व्यावसायिक और कृषि परियोजनाओं से जमीन हासिल की। इसमें 64 मामलों की जांच के बाद उल्लंघन की पुष्टि हुई है। सबसे ज्यादा खेल वर्ष 2017 के बाद शुरू हुआ।
व्यावसायिक और कृषि संभावनाओं के लिए बाहरी लोगों ने जमीन का अधिग्रहण किया। जिले में विशेष अधिग्रहण कर के जरिए सबसे ज्यादा जमीन की खरीद और अतिक्रमण तहसील में सबसे ज्यादा है।
इस लूट में कंपनियों के साथ-साथ भूमाफिया भी शामिल हैं। जमीन के मालिक काफी प्रभावशाली लोग हैं। ऐसे में हिंसा के मामले भी सामने आए हैं, जहां रिसॉर्ट बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण करने की होड़ मची हुई है।
भूमि कानूनों के उल्लंघन से जुड़े 23 मामले सामने आए हैं। इनमें से 10 मामले कोर्ट में चल रहे हैं। आठ मामलों में सरकारी जांच चल रही है। प्रशासन ने सभी लोगों को नोटिस जारी किए हैं। पांच मामलों में उल्लंघन पाए जाने पर कार्रवाई करना उचित है।
मुंबई के उद्योगपति भरत विसांजी की 108 एंटरप्राइजेज जमीन को सरकार में शामिल कर लिया गया है। 261 नाली जमीन पर कार्रवाई चल रही है। लमगड़ा के कपकोट गांव में सिने स्टार मनोज पाठक की 15 फिल्मों की जमीन में भी भूमि कानूनों का उल्लंघन सामने आया है। फिलहाल यह मामला कोर्ट में चल रहा है। यहां तक कि गरीबों की कीमती जमीन छीनकर देवभूमि में लूट का खेल चल रहा है।
बागेश्वर जिले में भी बाहर से आए लोगों ने जमीन खरीदकर उसका उपयोग बदल दिया। इस संबंध में चार लोगों के नाम से लेकर जमीन तक की जांच चल रही है। कौसानी में अवनीश कुमार झा ने 0.134 हेक्टेयर, एंटेना कपूर ने 0.614 हेक्टेयर, कोट में मैमर्स वूलन इंडस्ट्रीज ने 0.014 हेक्टेयर, सिलिकॉन पावर कंपनी ने उत्तर भारत में 0.090 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहीत की।
त्रिलोक खादी उद्योग सेवा समिति ने भी जमीन का निर्माण किया, जिसका उपयोग अन्य कार्यों में किया जा रहा है। कौसानी में एकता ने 2005 में कृषि आधारित व्यवसाय और उद्यम के लिए जमीन की संभावनाएं तलाशी। इसमें होटल टूरिज्म, पॉलीहाउस और फूलों के बगीचे बनाए गए। दिल्ली के अवनीश कुमार झा ने 2022 में पर्यटन उद्योग के लिए भूमि विकास कार्य जारी रखा है। अब इन पर चॉकलेट बनाने की तैयारी है।
औद्योगिक क्षेत्र में मानक से अधिक भूमि खरीद के सिर्फ दो मामले हैं। गणाई गंगोली तहसील में खुटानी सिलिकॉन पावर प्लांट के लिए मानक से अधिक भूमि दी गई। दूसरा मामला कृषि भूमि खरीद का है। प्रशासन की जांच में दोनों स्थानों पर जिस उद्देश्य से भूमि आवंटित की गई थी, उसका उपयोग उसी कार्य में पाया गया है।
अतिरिक्त यूएसएसआर नामित बरनवाल ने बताया कि मानक से अधिक भूमि पर कब्जे का कोई मामला नहीं है। यह फार्मास्युटिकल जिला है, सीमा चीन से लगती है। इसलिए अधिकांश क्षेत्रों में जाने के लिए इनर लाइन साइन की जरूरत होती है।
जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम के तहत चंपावत जिले में 250 वर्ग मीटर से अधिक भूमि खरीद के तीन मामले हैं। 250 वर्ग मीटर मानक के अंतर्गत 892 गैर उत्तराखंडियों की भूमि स्थित है। पूर्णागिरि तहसील में 758, चंपावत में 78, पाटी में 37, लोहाघाट में 17 और बाराकोट में दो मामले हैं। जिला प्रशासन की जांच में यह भी सामने आया है कि एक ही परिवार के कई सदस्यों के नाम पर अलग-अलग जमीनें खरीदी गई हैं। इस पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की गई है। दरअसल, यहां पूर्णागिरि धाम है। अन्य पर्यटन स्थल भी हैं। ऐसे में इस शांत क्षेत्र में मनमानी खरीद का खेल चल रहा है।