परीक्षा केंद्रों के बारे में कई शिकायतें मिली हैं कि छात्रों की अधिक संख्या के कारण निगरानी करना मुश्किल हो जाता है। छात्र एक-दूसरे के अपेक्षाकृत करीब बैठते हैं और नकल होती है। इस समस्या से निपटने के लिए परीक्षा केंद्रों में छात्रों की संख्या सीमित रखी जाएगी।
भोपाल। माध्यमिक शिक्षा मंडल (बीएसई) से संबद्ध स्कूलों में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं 25 फरवरी से शुरू होंगी। इन परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए सीबीएसई ने प्रत्येक केंद्र पर अधिकतम 250 विद्यार्थियों को प्रवेश देने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए प्रदेश में चार हजार से अधिक केंद्रों की जरूरत पड़ेगी।
माध्यमिक शिक्षा मंडल ने उन्हीं स्कूलों को केंद्र बनाने को कहा है, जिनमें फर्नीचर, पेयजल, शौचालय, बिजली, इंटरनेट, सीसीटीवी कैमरे की सुविधा हो। केंद्र तय करने की जिम्मेदारी जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को दी गई है। वे जिला शिक्षा अधिकारी और अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के साथ प्रस्तावित केंद्रों का स्वयं दौरा कर सुविधाएं देखेंगे। उनकी मंजूरी से यह प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा मंडल को भेजा जाएगा। यहां से मंजूरी मिलने के बाद ही परीक्षा केंद्रों को मंजूरी दी जाएगी।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं। लिंक नीचे दिए गए हैं।
बताया जा रहा है कि सामान्य तौर पर 30 सितंबर तक केंद्रों का चयन कर लिया जाना था, लेकिन नए निर्देशों के कारण इसमें देरी हो रही है। दिसंबर के पहले सप्ताह तक केंद्रों का चयन करने का प्रयास किया जा रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि कई बार बोर्ड को शिकायत मिली है कि केंद्रों पर परीक्षार्थियों की संख्या ज्यादा होने से परेशानी होती है। वे एक साथ बैठते हैं और नकल शुरू हो जाती है। बेंच और डेस्क पर जगह की कमी के कारण छात्रों को फर्श पर बैठाया जाता है, जिससे सही मॉनिटरिंग नहीं हो पाती। इस कारण इस बार निजी स्कूलों में ज्यादा केंद्र बनाए जाएंगे।
इस बार बोर्ड उड़नदस्तों को लेकर भी व्यवस्था में बदलाव कर रहा है। पिछली परीक्षा तक अलग-अलग स्तर पर उड़नदस्ते बनाए जाते थे। इनमें ब्लॉक स्तर पर डीईओ, जिला स्तर पर संयुक्त निदेशक और अन्य स्कूल शिक्षा अधिकारी भी उड़नदस्ते में शामिल होते हैं। इन सभी की बोर्ड स्तर पर मॉनिटरिंग नहीं हो पाती थी। इस बार बोर्ड खुद ऐप के जरिए इसकी मॉनिटरिंग करेगा। कई जिलों से शिकायतें मिली थीं कि छात्रों की संख्या अधिक होने से नकल की संभावना बढ़ जाती है। इसी के चलते इस बार परीक्षा केंद्रों में छात्रों की संख्या सीमित रखने के निर्देश दिए गए हैं। संख्या कम होने से निगरानी आसान होगी।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं। लिंक नीचे दिए गए हैं।
- केडी त्रिपाठी, सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद