- उत्पन्ना एकादशी: आस्था, पौराणिक कथा और मोक्ष का पर्व...आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है यह व्रत

उत्पन्ना एकादशी: आस्था, पौराणिक कथा और मोक्ष का पर्व...आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है यह व्रत

उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु की महाशक्ति माँ एकादशी की पावन जन्म तिथि का अनूठा पर्व है। यह दिन केवल व्रत और पूजा-पाठ का अवसर ही नहीं है। यह आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है, जो भक्तों को पापों से मुक्त कर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है।

बिलासपुर में यह उत्सव परंपरा और भक्ति की गहराई को जीवंत कर देता है। लक्ष्मीनारायण मंदिर, वेंकटेश मंदिर, श्री राम मंदिर और खाटू श्याम मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना के साथ भक्ति की अनूठी धारा बहेगी।

इस दिन का हर पल भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा का अहसास कराएगा। ज्योतिषाचार्य पंडित वासुदेव शर्मा बताते हैं कि विष्णु पुराण और पद्म पुराण के अनुसार इस दिन व्रत रखने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ और सौ राजसूय यज्ञ के बराबर पुण्य मिलता है। राक्षस मुरासुरा को मारने के लिए भगवान विष्णु की शक्ति से उत्पन्न दिव्य कन्या ने मुरासुरा का वध किया था।

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भगवान ने उसे "एकादशी" नाम देकर वरदान दिया कि जो भी इस तिथि पर व्रत रखेगा। उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और मोक्ष की प्राप्ति होगी। नारद पुराण के अनुसार इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और द्वादशी को भगवान कृष्ण की गंध, फूल और धूप आदि से पूजा करते हैं। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और दक्षिणा दी जाती है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

 

बिलासपुर में विशेष आयोजन

 बिलासपुर में उत्पन्ना एकादशी के अवसर पर घरों और मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। लक्ष्मीनारायण मंदिर (बुधवारी बाजार), वेंकटेश मंदिर (सिम्स चौक), श्री राम मंदिर (तिलक नगर) और खाटू श्याम मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ेगी। इन मंदिरों में भगवान की विशेष सजावट और विशेष आरती का आयोजन किया जाएगा।

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आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार

उत्पन्ना एकादशी का यह व्रत भक्तों के लिए भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त करने और पापों से मुक्ति पाने का एक शुभ अवसर है। यह पर्व जीवन में मोक्ष और आध्यात्मिक शांति का मार्ग प्रशस्त करता है। इस दिन की भक्तिमय आभा को देखने के लिए बिलासपुर के मंदिरों में बड़ी संख्या में लोग उमड़ते हैं, जिससे वातावरण भक्तिमय और पवित्र हो जाता है।

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यह व्रत आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है

अनुशासनहीन जीवन जीने के कारण हमारे शरीर में जो अशुद्धियाँ और अनियमितताएँ आती हैं, उनके लिए उपवास एक सफल उपाय बताया गया है। भोजन करने से शरीर में नशा और आलस्य आता है। जिससे पूजा-पाठ से उत्पन्न आध्यात्मिक शक्ति नष्ट होने लगती है।

उपवास हमारे शरीर और मन को शुद्ध करता है, आत्मविश्वास बढ़ाता है और संयम की आदत भी विकसित करता है। आत्मविश्वास हमारी शक्तियों को बढ़ाता है और संयम शक्तियों के व्यय को कम करता है। इस तरह उपवास से आत्म-शुद्धि और शक्ति दोनों का लाभ मिलता है।

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उपवास को इंद्रियों, विषय-वासनाओं और मन को नियंत्रित करने का अचूक साधन माना जाता है। गीता में कहा गया है- विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः।

डॉक्टरों के मतानुसार भी उपवास से कई शारीरिक और मानसिक रोगों में राहत मिलती है।

सप्ताह में एक दिन उपवास करने से हमारे आंतरिक अंगों को आराम और खुद को साफ करने का मौका मिलता है, जिससे शारीरिक और मानसिक शक्ति और आयु बढ़ती है। इसके अलावा व्रत अनुष्ठान करने से व्यक्ति को तीन गुना कल्याण यानी भौतिक, आध्यात्मिक और दैवीय प्राप्त होता है।

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