पुल के गलत डिजाइन के कारण ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक क्लीयरेंस नहीं दे रही है। अब विशेषज्ञ पुल के शुरुआती हिस्से को तोड़ने की बात कर रहे हैं ताकि कुछ मोड़ों पर सुगम यातायात संभव हो सके।
शहर के लोग जीजी फ्लाईओवर के उद्घाटन का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। उस पुल का गलत डिजाइन अब ट्रैफिक पुलिस के लिए गले की हड्डी बन गया है। दरअसल, भोपाल हाट की तरफ बने पुल का हिस्सा सुरक्षित यातायात के मानकों पर खरा नहीं उतरा है। इसलिए पुल के शुरुआती हिस्से को तोड़कर नए सिरे से निर्माण किया जाएगा। ताकि भोपाल हाट से चौराहे की तरफ जाने वाला ट्रैफिक और पुल से नीचे उतरने वाले वाहन चालक सुरक्षित सफर कर सकें।
चूंकि पुल बनने के बाद उक्त चौराहे से पांच सड़कें निकल रही हैं। ऐसे में ट्रैफिक पुलिस के लिए पांच सड़कों के लिए अलग-अलग ट्रैफिक सिग्नल लगाना आसान नहीं होगा। इसे ध्यान में रखते हुए फिलहाल चौराहे पर एक बड़ी रोटरी बनाई जाएगी। साथ ही भोपाल हाट से आने वाले ट्रैफिक और पुल से नीचे उतरने वाले ट्रैफिक के लिए अलग-अलग सिग्नल लगाने की योजना है।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं। लिंक नीचे दिए गए हैं।
हालांकि यह प्लानिंग कितनी कारगर साबित होगी यह तो आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल ट्रैफिक पुलिस पुल के गलत डिजाइन के कारण ट्रैफिक क्लीयरेंस नहीं दे रही है। मालूम हो कि पुल का डिजाइन शुरू से ही विवादों में रहा, लेकिन विभाग के इंजीनियर इसे नकारते रहे और आज स्थिति और खराब हो गई है। अब विशेषज्ञ पुल के शुरुआती हिस्से को तोड़ने की बात कर रहे हैं। ताकि यातायात को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सके। इस पर विचार-विमर्श चल रहा है।
गणेश मंदिर की ओर वाली जगह अब साफ हो गई है। यहां भी यातायात पुलिस ने सुरक्षित यातायात मानकों के अनुसार बीच में डिवाइडर बनाने को कहा था। जो वाहन चालक डिवाइडर बनाकर गणेश मंदिर से अरेरा कॉलोनी की ओर मुड़ते थे, वे अब 100 मीटर की दूरी से यानी हबीबगंज अंडरब्रिज से वीर सावरकर सेतु का पूरा चक्कर लगाकर अरेरा कॉलोनी, 1100 क्वार्टर पहुंच पा रहे हैं। पहले गणेश मंदिर से वाहन चालक अरेरा कॉलोनी क्षेत्र से आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंच जाते थे।
गायत्री मंदिर की ओर पुल के दोनों ओर बन रही आरई वॉल का 80 मीटर काम बाकी है। यह काम पूरा होने के बाद पुल पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा। फिलहाल यह पुल का वह हिस्सा है, जहां लंबे समय से निर्माण कार्य चल रहा है। गौरतलब है कि पीडब्ल्यूडी के अधिकारी पहले कोलार पाइपलाइन के कारण इस काम में देरी का हवाला दे रहे थे, लेकिन पाइपलाइन हटाए हुए काफी समय हो गया है, लेकिन अभी तक री-वॉल का काम पूरा नहीं हो पाया है।
अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं। लिंक नीचे दिए गए हैं।
गुरुवार को यातायात पुलिस अधिकारी एवं मैनिट विशेषज्ञ सिद्धार्थ रोकड़े ने पुल पर यातायात मानकों का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने पुल पर विभिन्न स्थानों पर लगे यातायात पुलिस के चिह्नों को देखा। सिद्धार्थ रोकड़े ने बताया कि पुल पर दोपहिया वाहनों की अधिकतम गति 60 और जंक्शन पर न्यूनतम गति 30 रहेगी।
पुल का निरीक्षण किया गया है, भोपाल हाट से पुल पर उतरने वाले यातायात को नियंत्रित करने के लिए वहां बड़ी रोटरी बनाने की संस्तुति की गई है। सुरक्षित यातायात के लिए पुल के शुरुआती हिस्से को तोड़ने की भी संस्तुति की गई है। पीडब्ल्यूडी अधिकारियों को इसकी जानकारी दे दी गई है।
- जावेद शकील, सहायक अभियंता, पीडब्ल्यूडी, भोपाल