मध्य प्रदेश के सागर में एक नाबालिग बलात्कार पीड़िता ने बच्चे को जन्म दिया। माता-पिता नवजात को अपने पास नहीं रखना चाहते थे, इसलिए उन्होंने उसे बेच दिया। बाल कल्याण समिति ने समय रहते पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने पीड़िता और नवजात दोनों को अपने कब्जे में ले लिया।
केंट थाना क्षेत्र में दुष्कर्म पीड़िता की डिलीवरी के बाद नाबालिग के माता-पिता ने नवजात को किसी और को दे दिया। नवजात को वे अपने साथ ले जाते, उससे पहले ही पुलिस ने मां और बच्चे को अपनी कस्टडी में लेकर बालिका गृह भेज दिया।
नाबालिग के माता-पिता ने शपथ पत्र लिखवाकर असंवैधानिक तरीके से गोदनामा तैयार करवा लिया। इस मामले में बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने एसपी को पत्र लिखकर पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
अस्पताल में प्रसव के बाद नाबालिग के परिजन बच्चे को रखने को तैयार नहीं हुए। अस्पताल में पुलिस की मौजूदगी में नाबालिग के परिजन बच्चे को किसी और को देने की बात करने लगे।
इस पर संदेह होने के बाद बाल कल्याण समिति के सदस्य मां और बच्चे पर नजर रख रहे थे। इसके बाद पुलिस को पीड़िता के परिजनों द्वारा बच्चे को गोद दिए जाने की जानकारी मिली, जिसके बाद वे सक्रिय हो गए।
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इस मामले में नाबालिग की मां पर भी बच्चे को बेचने का संदेह है। दो दिन पहले केंट थाने को भी सूचना मिली थी कि फर्जी और अवैध प्रक्रिया के तहत नवजात को किसी और को सौंपा जा रहा है।
इसके बाद पुलिस ने बाल कल्याण समिति को सूचना दी और उनकी मौजूदगी में नाबालिग के घर जाकर उसे और नवजात को अपनी अभिरक्षा में लेकर बालिका गृह में रख दिया।
मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष रवींद्र मोरे ने सागर एसपी विकास शाहवाल को पत्र लिखकर नाबालिग से जन्मे नवजात को किसी और को गोद देने के मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
26 नवंबर की रात को कोतवाली थाना क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में 17 वर्षीय नाबालिग गर्भवती महिला के प्रसव का मामला सामने आने के बाद अगले दिन जिला बाल कल्याण समिति ने अस्पताल जाकर मां और उसके नवजात की तलाश की और पूरा मामला पुलिस को सौंप दिया।
उसी दिन मां और नवजात को डफरिन में शिफ्ट कर दिया गया और नाबालिग के बयान के आधार पर कैंट पुलिस ने सदर निवासी एक युवक के खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। डफरिन में भर्ती मां और नवजात को वहां से छुट्टी दे दी गई। वहां से मां और नवजात को उसके माता-पिता अपने घर ले आए।
भारत में बच्चे को गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम 1956 और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) अधिनियम 2015 के तहत पूरी की जाती है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण इस प्रक्रिया की देखरेख करता है। लेकिन इस प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए नोटरी समेत दोनों पक्षों ने असंवैधानिक तरीके से महज 100 रुपये के स्टांप पर चंद घंटों में यह प्रक्रिया पूरी कर ली।
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6 दिसंबर को जिला न्यायालय के नोटरी द्वारा 100 रुपए के स्टांप पर गोद लेने का दस्तावेज तैयार किया गया। इसमें नाबालिग की मां, नाबालिग लड़की और बच्चे को गोद लेने के संबंध में लिखित दस्तावेज हैं। इसमें घोषित किया गया है कि जिस दंपत्ति ने लड़की को गोद लिया है, उन्हें लड़की की कस्टडी और उनकी संपत्ति पर पूरा अधिकार दिया जाएगा।