मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत रखने से पापों से मुक्ति मिलती है और पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। यही कारण है कि इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित गौरीशंकर दुबे ने बताया कि बुधवार और एकादशी को भगवान विष्णु के साथ ही गणेश और श्रीकृष्ण की विशेष पूजा का शुभ योग है। बुधवार के स्वामी भगवान गणेश हैं। एकादशी के स्वामी भगवान विष्णु माने जाते हैं और इसी एकादशी पर श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था।
आज भी जो लोग गीता का पाठ करते हैं, उनके सभी दुख और संशय दूर हो जाते हैं और मन को शांति मिलती है। बुधवार और एकादशी को अगर लोग बुध के लिए विशेष दान-पुण्य करें तो कुंडली में बुध से संबंधित दोषों का प्रभाव कम हो सकता है। बुध के लिए मूंग का दान करना चाहिए और गाय को हरी घास खिलानी चाहिए।
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गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी के अवसर पर शिवधाम कुंडेश्वर में दीपदान कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। बुधवार को शाम 4 बजे से जमदार नदी के तट पर दीपदान कार्यक्रम होगा। मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती पर पिछले तीन वर्षों से दीपदान का आयोजन किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश के टीकमगढ़ स्थित शिवधाम कुंडेश्वर में जमदार नदी के उषा कुंड पर दीपदान कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। इसके साथ ही भजन संध्या, महाआरती और प्रसाद वितरण का आयोजन किया जाएगा।
मोक्षदा एकादशी का व्रत सभी पापों का नाश करता है। अनेक संतों ने गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी की महिमा का वर्णन किया है। कार्यक्रम में कलेक्टर अवधेश शर्मा सहित अनेक संत और विभिन्न धार्मिक संगठनों के पदाधिकारी शामिल होंगे।
‘आपको सभी बुरे कर्म छोड़कर अच्छाई अपनानी चाहिए। दूसरों को भी अच्छाई के मार्ग पर ले जाना चाहिए। सद्भावना और अच्छे विचारों का पाठ खुद भी सीखें और दूसरों को भी सिखाएं। हमेशा याद रखें कि भगवान सिर्फ वहीं नहीं होते, जहां अच्छे कर्म और पुण्य किए जाते हैं। भगवान वहां भी मौजूद होते हैं, जहां बुरे कर्म और पाप किए जाते हैं। इसीलिए कहा जाता है कि भगवान कण-कण में मौजूद हैं।’
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यह बातें प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय पोरसा द्वारा ग्वालियर के तरेनी गांव में आयोजित सत्संग कार्यक्रम में बीके रेखा बहन ने कहीं।सत्संग के दौरान लोगों को नशे के दुष्परिणामों के बारे में बताकर नशा छोड़ने के लिए प्रेरित किया गया।
बीके रेखा बहन ने कहा कि आज मनुष्य शराब, चरस, अफीम, सिगरेट, गुटखा जैसे नशीले पदार्थों का सेवन कर अपने शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है। वह तनाव और बीमारियों से घिरा हुआ है, इसलिए वह सकारात्मकता नहीं अपना पा रहा है।
ऐसी खान-पान की आदतों के कारण ऐसी मनुष्य आत्माओं के हृदय में परमात्मा की याद भी नहीं रहती, जिसके कारण वह अपराध जैसे गलत काम कर बैठते हैं। वह सहनशीलता की शक्ति, सहयोग की भावना, निर्णय लेने की शक्ति, सामना करने की क्षमता से खुद को दूर कर चुका है।