- Dengue In Indore: डेंगू वायरस बदल रहा है अपना रूप, लिवर पर भी पड़ सकता है असर

Dengue In Indore: डेंगू वायरस बदल रहा है अपना रूप, लिवर पर भी पड़ सकता है असर

आमतौर पर डेंगू वायरस का पता माइक्रोबायोलॉजी लैब में चल जाता है, लेकिन वायरल हेमोरेजिक फीवर वायरस का पता जांच के दौरान नहीं चल पाता। इसका पता सिर्फ वायरोलॉजी लैब में ही चलता है, लेकिन इसकी जांच महंगी होती है।

इंदौर शहर में बुधवार रात डेंगू से 13 साल के बच्चे की मौत के बाद लोगों की चिंता बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग इस बात से चिंतित है, क्योंकि 20 नवंबर के बाद उसके रिकॉर्ड में डेंगू का कोई नया मरीज दर्ज नहीं हुआ है।

डेंगू हर दो-तीन साल में अपना रूप बदलता है। इसके चलते मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगती है। इस साल अब तक इंदौर में डेंगू के 550 मरीज मिल चुके हैं। इनमें 327 पुरुष और 223 महिलाएं हैं। वहीं मलेरिया के सात और चिकनगुनिया के 20 मरीज मिले हैं।

यह भी पढ़िए- आईसीआईसीआई बैंक का रिलेशनशिप मैनेजर साइबर ठगों के साथ मिलकर खाली कर रहा था खाते

विशेषज्ञों के अनुसार इस बार डेंगू का स्वरूप अलग था क्योंकि बड़ी संख्या में मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। कई मरीज ऐसे थे जिनमें डेंगू के लक्षण थे लेकिन उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आ रही थी।

अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप  चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं। लिंक नीचे दिए गए हैं।

प्लेटलेट्स अचानक कम हो जाती हैं

डेंगू में मरीज को लगता है कि वह ठीक हो रहा है, लेकिन अचानक प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। इसलिए समय पर इलाज करवाना बहुत जरूरी है। डेंगू होने पर प्लेटलेट्स बहुत तेजी से गिरती हैं। लीवर पर तेजी से असर पड़ता है।

इंदौर में ही नहीं, इस साल पूरे प्रदेश में मरीजों की संख्या ज्यादा रही है। इसके वैरिएंट की जांच के लिए सैंपल पुणे स्थित लैब भेजे जाते हैं, लेकिन अभी तक भेजे नहीं गए हैं।

डेंगू के लक्षण वाले मरीजों में वायरल हेमरेजिक फीवर

बता दें कि इंदौर में इस साल डेंगू के लक्षण दिखने वाले सात हजार लोगों की एलाइजा जांच की गई है। इसमें से करीब 550 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। बाकी मरीजों में लक्षण होने के बावजूद रिपोर्ट निगेटिव मिली।

सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के डॉ. अमित अग्रवाल ने दावा किया है कि जिन मरीजों की रिपोर्ट निगेटिव आई है, उनमें से 50% में वायरल हेमरेजिक फीवर पाया गया है। इसके सभी लक्षण डेंगू बुखार से मिलते-जुलते हैं। हालांकि, इसमें मरीज को डेंगू से ज्यादा खतरा होता है।

अगर आप देश और दुनिया की ताज़ा ख़बरों और विश्लेषणों से जुड़े रहना चाहते हैं, तो हमारे यूट्यूब चैनल और व्हाट्सएप  चैनल से जुड़ें। 'बेजोड़ रत्ना' आपके लिए सबसे सटीक और बेहतरीन समाचार प्रदान करता है। हमारे यूट्यूब चैनल पर सब्सक्राइब करें और व्हाट्सएप चैनल पर जुड़कर हर खबर सबसे पहले पाएं। लिंक नीचे दिए गए हैं।

निगेटिव रिपोर्ट आने के बाद लोग सोचते हैं कि वे पूरी तरह ठीक हैं, उन्हें विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार उपचार लेना चाहिए। इससे उबरने में पांच से आठ दिन का समय लगता है। वायरल हेमरेजिक बुखार में प्लेटलेट्स धीरे-धीरे कम होने लगते हैं।

यह भी पढ़िए- संसद संविधान बहस: राहुल गांधी ने कहा- 'सरकार अंगूठे काट रही है'... अनुराग ठाकुर ने जवाब दिया- 'आपके राज में गले काटे गए'

मच्छरों से खुद को बचाना चाहिए

डेंगू के चार से पांच प्रकार होते हैं। इनमें अगर बदलाव होता है तो यह बीमारी होती रहती है। अगर एक बार हो जाए तो दूसरी बार यह ज्यादा गंभीर हो सकती है। इससे बचने के लिए मच्छरों से खुद को बचाना चाहिए। - डॉ. वीपी पांडेय, प्रभारी डीन, एमजीएम

Comments About This News :

खबरें और भी हैं...!

वीडियो

देश

इंफ़ोग्राफ़िक

दुनिया

Tag