- आईसीआईसीआई बैंक का रिलेशनशिप मैनेजर साइबर ठगों के साथ मिलकर खाली कर रहा था खाते

आईसीआईसीआई बैंक का रिलेशनशिप मैनेजर साइबर ठगों के साथ मिलकर खाली कर रहा था खाते

ठगी के शिकार लोगों ने साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर शिकायत की थी। जिसके बाद आईसीआईसीआई बैंक में आंतरिक जांच शुरू की गई। जांच में पता चला कि रिलेशनशिप मैनेजर कमल कुमावत की आईडी से उन बैंक खातों की जानकारी निकाली गई थी। इसके बाद उसे पकड़ लिया गया।

आईसीआईसीआई बैंक में लाखों रुपए की धोखाधड़ी में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। बैंक का रिलेशनशिप मैनेजर कमल कुमावत साइबर अपराधियों से मिलीभगत कर खाते खाली कर रहा था।

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सरगना ई-कॉमर्स वेबसाइट के जरिए पैसे लेता था। उसने बड़े ज्वैलर्स से ई-गोल्ड खरीदकर लाखों रुपए कैश कराए हैं। पुलिस बैंक की लापरवाही की भी जांच कर रही है। स्कीम-54 स्थित ब्रांच के क्लस्टर मैनेजर जयदीप पाटीदार की शिकायत पर कमल कुमावत के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज किया गया है।

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आरोपी से 2.5 लाख रुपए ठगे गए

शुक्रवार को कमल ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए बताया कि पहले वह एक टेलीपरफॉर्मेंस कंपनी में काम करता था। बीपीओ में उससे 2.5 लाख रुपए ठगे गए। कोरोना महामारी के दौरान उसकी नौकरी चली गई और वह आईसीआईसीआई बैंक में काम करने लगा।

पहले बीमा में धोखाधड़ी करने का लालच दिया

कुछ दिन पहले उसके पास एक अनजान नंबर से फोन आया और उसने अपने साथ हुई घटना के बारे में बताया। उसने कहा कि वह उसे 2.5 लाख रुपये के नुकसान से उबार सकता है। शुरुआत में आरोपी ने उसे बीमा (आईसीआईसीआई लोम्बार्ड) में धोखाधड़ी कर पैसे कमाने का लालच दिया। मना करने पर उसने उसे बड़े औद्योगिक घरानों के खातों से पैसे निकालने की साजिश के बारे में बताया।

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पासवर्ड बदलकर मिनटों में निकाले लाखों रुपये

कमल के मुताबिक आरोपी उसे बताकर उसके बैंक खाते का बैलेंस पूछता था। इसके बाद कमल से यूजर नेम की जानकारी हासिल कर लेता था। पासवर्ड भूलने पर कमल से ओटीपी नंबर हासिल कर लेता था। नया पासवर्ड बनाकर खाते से पैसे निकाल लेता था।

इस तरह आरोपियों ने लुधियाना, इंदौर व अन्य शहरों के सात खातों से 53 लाख रुपये निकाल लिए। ठगी की जानकारी मिलने पर पीड़ितों ने साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत की और आईसीआईसीआई बैंक ने आंतरिक जांच शुरू की।

10 लाख रुपये कमीशन दिया गया

जांच में पता चला कि जिन खातों से पैसे निकाले गए, वे कमल की आईडी से खोले गए थे। जालसाज ने इसके बदले कमल को करीब 10 लाख रुपये कमीशन दिया। जांच को गुमराह करने के लिए उसने कमल की केवाईसी से तनिष्क ज्वेलर पर आईडी बनाई और ई-गोल्ड खरीदा।

ई-गोल्ड बेचकर पैसे कैश किए

कमल को आईडी और पासवर्ड दिया गया और ई-गोल्ड बेचकर पैसे कैश किए। पुलिस के मुताबिक ठगी के इस हाईटेक तरीके में बैंक भी शामिल पाया गया है। पासवर्ड भूलने पर ऑफिस सिस्टम पर ओटीपी भी आ जाता था।

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बैंक की कमजोरी का उठाया फायदा

अपराधियों ने बैंक की कमजोरी का फायदा उठाया है। उन्हें कारोबारी के खातों और ओटीपी की भी जानकारी थी। इस मामले की जांच के लिए साइबर एक्सपर्ट की टीम की मदद ली जा रही है। अब तक की जांच में 53 लाख रुपये की ठगी की बात सामने आई है। पुलिस ने सात खातों की जानकारी जुटाई है। - अभिनय विश्वकर्मा, डीसीपी जोन-2

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