- क्या सेवानिवृत्त अफसरों को संविदा के जरिए खाली सरकारी पदों पर नियुक्त किया जा सकता है… मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दी ये व्यवस्था

क्या सेवानिवृत्त अफसरों को संविदा के जरिए खाली सरकारी पदों पर नियुक्त किया जा सकता है… मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दी ये व्यवस्था

मध्य प्रदेश में एमपी पॉवर जनरेटिंग कंपनी ने विज्ञापन जारी कर कहा था कि रिक्त पदों पर संविदा के आधार पर सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति की जा रही है। इस नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। सवाल यह था कि क्या पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों को किसी अन्य माध्यम से भरना संवैधानिक है?

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एमपी पावर जनरेटिंग कंपनी के उस विज्ञापन नोटिस को निरस्त कर दिया है, जिसके तहत रिक्त पदों पर सेवानिवृत्त अधिकारियों को संविदा के आधार पर नियुक्त किया जा रहा था।

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जस्टिस विवेक जैन की सिंगल बेंच ने इस संबंध में विस्तृत फैसला सुनाते हुए कहा कि पदोन्नति से भरे जाने वाले पदों को किसी अन्य माध्यम से भरना अवैध है। कोर्ट ने कहा कि बाहरी स्रोतों से अधिकारियों की भर्ती करना नियमों के विरुद्ध है, जिसे वैध नहीं कहा जा सकता।

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जबलपुर के कुछ इंजीनियरों ने नोटिस को दी थी चुनौती

  • मप्र विद्युत मंडल इंजीनियर्स एसोसिएशन जबलपुर के महासचिव विकास शुक्ला समेत जबलपुर के कुछ इंजीनियरों ने विद्युत उत्पादन कंपनी के उक्त विज्ञापन नोटिस को चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय के अग्रवाल ने बहस की।
  • उन्होंने तर्क दिया कि कंपनी विशेषज्ञ सेवाएं, परामर्श सेवाएं और सलाहकार सेवाएं प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी), भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) और अन्य राज्य विद्युत उपयोगिताओं और उपक्रमों के 20 सेवानिवृत्त अधिकारियों को नियुक्त कर रही है।
  • तर्क दिया गया कि उक्त विशेषज्ञों से लिया जाने वाला कार्य विशेषज्ञता या परामर्श की विशेष और अस्थायी आवश्यकता का कार्य नहीं है, बल्कि विद्युत स्टेशनों और ट्रांसमिशन स्टेशनों में अधीक्षण अभियंताओं और मुख्य अभियंताओं द्वारा किया जाने वाला नियमित कार्य है।
  • कोर्ट को बताया गया कि कंपनी में एसई, सीई जैसे कई उच्च पद रिक्त पड़े हैं। इन पदों को पदोन्नति से भरा जाना चाहिए, लेकिन कंपनी द्वारा इन्हें आउटसोर्स किया जा रहा है।

छात्रा के 0.40% कम अंक, हाईकोर्ट ने माशिम से मांगा जवाब

एक अन्य मामले में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं के पुनर्मूल्यांकन को लेकर दायर याचिका में माध्यमिक शिक्षा मंडल व अन्य से जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता जबलपुर निवासी सान्वी दीक्षित की ओर से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी, राजेश सिंह चौहान, आनंद शुक्ला व विनीत तेहंगुरिया ने पैरवी की। उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता को 74.6% अंक मिले हैं, जो उसकी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हैं। इसलिए माशिम में ऑनलाइन आवेदन कर हिंदी, अंग्रेजी, भौतिक विज्ञान, गणित व रसायन विज्ञान की उत्तर पुस्तिकाएं उपलब्ध कराने की मांग की गई।

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पोर्टल पर फिजिक्स, हिंदी और केमिस्ट्री की उत्तर पुस्तिकाएं दिखीं, लेकिन उन्हें सिर्फ अंग्रेजी और गणित की उत्तर पुस्तिकाएं मिलीं। इसलिए पत्र भेजा गया। लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसलिए वह हाईकोर्ट गईं। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें बिट्स की प्रवेश प्रक्रिया में भाग लेना है, जहां न्यूनतम 75 प्रतिशत अंक जरूरी हैं। याचिकाकर्ता महज 0.4 अंक कम होने के कारण भाग नहीं ले सकीं।

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