- पीएम मोदी की मौजूदगी में पार्वती, कालीसिंध, चंबल लिंक परियोजना के एमओयू पर हस्ताक्षर... एमपी-राजस्थान के किसानों को होगा फायदा

पीएम मोदी की मौजूदगी में पार्वती, कालीसिंध, चंबल लिंक परियोजना के एमओयू पर हस्ताक्षर... एमपी-राजस्थान के किसानों को होगा फायदा

मध्य प्रदेश और राजस्थान के विभिन्न जिलों के किसानों और आम जनता के लिए मंगलवार का दिन अहम है। नदी जोड़ो परियोजना के तहत दोनों राज्यों से गुजरने वाली पार्वती, कालीसिंध और चंबल नदियों को जोड़ा जा रहा है। इससे न सिर्फ सिंचाई के लिए पानी मिलेगा बल्कि पेयजल की समस्या भी खत्म होगी। जयपुर में एमओयू साइनिंग समारोह हुआ।

मध्य प्रदेश और राजस्थान को समृद्ध और किसानों को खुशहाल बनाने वाली पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना के लिए त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में राजस्थान के जयपुर में हुआ।

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एक तरफ जयपुर में मुख्य कार्यक्रम चल रहा था, वहीं दूसरी तरफ इस योजना से लाभान्वित मध्य प्रदेश के जिलों में किसानों का सम्मान किया गया। देवास जिले में टोंक खुर्द के मंडी मैदान में सुबह 10.30 बजे से जिला स्तरीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया।

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जल संसाधन विभाग की 3612.90 करोड़ रुपए की पार्वती, कालीसिंध, चंबल नदी जोड़ो परियोजना का भूमिपूजन मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किया। इसका सीधा प्रसारण उज्जैन सहित प्रदेश भर के जिला मुख्यालयों पर किया गया।

 योजना के क्रियान्वयन से उज्जैन के 171 गांवों के किसान लाभान्वित होंगे। इस जानकारी के साथ अन्य जानकारियों को साझा करने के लिए इंदौर के चिमनगंज कृषि उपज मंडी परिसर में सुबह 10 बजे जिला स्तरीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया गया।

देवास में भी कार्यक्रम आयोजित किया गया

  • देवास जिले में परियोजना से लाभान्वित गांवों में ग्रामीणों ने कलश यात्रा निकाली, मंदिरों में प्रभात फेरी निकाली तथा भजन मंडलियों ने नियमित पूजा-अर्चना की।
  • लिंक परियोजना से प्रदेश के चंबल और मालवा क्षेत्र के लाखों किसानों को लाभ मिलेगा। परियोजना से 13 जिलों को सिंचाई, पेयजल, मत्स्य पालन और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए पानी मिलेगा।

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नदियों के जुड़ने से एमपी को क्या फायदा होगा

इस परियोजना से मध्य प्रदेश के गुना, शिवपुरी, सीहोर, देवास, राजगढ़, उज्जैन, आगर-मालवा, इंदौर, शाजापुर, मंदसौर और मुरैना के किसानों को सिंचाई और पीने के लिए पर्याप्त पानी की उपलब्धता सुनिश्चित होगी। इससे किसानों के जीवन में खुशहाली आएगी और उनकी फसलें भी लहलहाएंगी।

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