केंद्र सरकार ने लोकसभा में 'एक देश-एक चुनाव' बिल पेश किया। यह बिल भारतीय जनता पार्टी के चुनावी घोषणापत्र में शामिल था। विपक्ष के हंगामे के बीच केंद्र सरकार ने यह बिल पेश किया। लोकसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली।
केंद्र सरकार के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में 'एक देश-एक चुनाव' 129वां संविधान संशोधन विधेयक पेश किया, जिसका विपक्ष ने कड़ा विरोध किया। कानून मंत्री ने मांग की कि इस विधेयक को व्यापक चर्चा के लिए जेपीसी के पास भेजा जाए।
एक देश, एक चुनाव विधेयक को स्वीकार करने के लिए सदन में पहली बार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग कराई गई। इसमें पक्ष में 220 और विपक्ष में 149 वोट पड़े। कुछ विपक्षी सदस्यों ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग पर आपत्ति जताई तो अमित शाह ने स्पीकर को पर्ची के जरिए वोटिंग कराने की सलाह दी।
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'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' देश की तरक्की के लिए है। 5 साल में एक बार चुनाव होंगे। पहले भी ऐसा होता था। 1952 से पहले भी इसी तरह चुनाव होते थे। कांग्रेस ने अनुच्छेद 350 का इस्तेमाल कर विधानसभा भंग कर दी थी। इस पर बात करें, लेकिन सिर्फ विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं है।
एक राष्ट्र एक चुनाव पर कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा कि यह भारत के संविधान और नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला है, जिसका कांग्रेस पार्टी और भारत गठबंधन पुरजोर विरोध करेगा। यह बिल भाजपा की मंशा को दर्शाता है कि वे किस तरह भारत के चुनावों की निष्पक्षता को छीनने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी मांग भारत में निष्पक्ष चुनाव की है।
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