पाकिस्तान ने ग्वादर पोर्ट को लेकर अपने दोस्त चीन को धोखा दिया है। पाकिस्तान की सेना चाहती है कि चीन उसे जवाबी परमाणु हमला करने की ताकत दे। चीन ने पाकिस्तानी सेना की इस खतरनाक मांग को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। चीन को इस बात का डर था कि कहीं वह फंस न जाए।
पाकिस्तान का चरित्र हमेशा से दोस्ती का दिखावा कर पीठ में छुरा घोंपने का रहा है। जब भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लाहौर गए थे, तो बदले में भारत को कारगिल में घुसपैठ मिली थी। पाकिस्तान ने अब अपने सबसे करीबी और लौह भाई चीन को बड़ा झटका देते हुए ग्वादर पोर्ट पर धोखा दिया है। पाकिस्तान ने चीन से वादा किया था कि वो उसे ग्वादर पोर्ट में नौसैनिक अड्डा बनाने देगा। चीन ने CPEC के नाम पर करीब 60 अरब डॉलर का भारी भरकम निवेश भी किया था। अब जब चीन ने नौसैनिक अड्डे के लिए पाकिस्तान से ग्वादर पोर्ट मांगना शुरू किया तो जिन्ना के देश ने ड्रैगन को करारा झटका दिया है। पाकिस्तानी सेना ने चीन से मांग की कि वो पहले जवाबी परमाणु हमला करने की तकनीक दे, उसके बाद ही इस्लामाबाद ग्वादर पोर्ट चीन को सौंपेगा। जवाबी परमाणु हमला करने की तकनीक इतनी विनाशकारी है कि अगर चीन इसे दे भी दे तो वो बुरी तरह फंस जाएगा और अगर नहीं भी दे तो भी। आइए समझते हैं...
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पाकिस्तान कंगाली से गुजर रहा है लेकिन अमेरिका तक मार करने वाली मिसाइलें बनाने में जुटा है। हाल ही में पाकिस्तान और चीन के वरिष्ठ सैन्य और सरकारी अधिकारियों के बीच एक बैठक हुई। इसमें पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में स्थित ग्वादर पोर्ट के भविष्य को लेकर गहन चर्चा हुई। इसे चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे से जुड़ी बैठक का नाम दिया गया। इस बैठक में पाकिस्तानी सेना ने चीन को धमकाना शुरू कर दिया। पाकिस्तान ने कहा कि अगर चीन ग्वादर पोर्ट पर नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता है तो उसे यह तभी मिलेगा जब बीजिंग उसे जवाबी परमाणु हमला करने की क्षमता देगा।
पाकिस्तान लंबे समय से भारत के बराबर आकर परमाणु त्रिकोण हासिल करना चाहता है। जवाबी परमाणु हमले के लिए यह बेहद जरूरी है। चीन को पाकिस्तान की यह ब्लैकमेलिंग पसंद नहीं आई। चीन ने पाकिस्तान की इस धमकी को वहीं खारिज कर दिया। इतना ही नहीं, चीन ने इस विषय पर भविष्य में होने वाली किसी भी बातचीत को भी रोक दिया। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी सेना ने यह भी कहा कि अगर उसे ग्वादर चाहिए तो चीन को भारी सैन्य और आर्थिक मदद देनी होगी। चीन पाकिस्तान को मिसाइल से लेकर आर्थिक मदद तक सब कुछ देता रहता है, लेकिन जवाबी परमाणु हमला करने की ताकत उसे भी मुश्किल में डाल सकती है।
अगर चीन जवाबी परमाणु हमले के लिए पाकिस्तान को परमाणु पनडुब्बी और मिसाइल साइलो तकनीक देता है तो उसे दुनिया भर से भारी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। इतना ही नहीं, अगर चीन पाकिस्तान की मदद करने के लिए परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का उल्लंघन करता है तो वह दुनिया में अलग-थलग पड़ जाएगा। चीन ने एनपीटी पर हस्ताक्षर किए हैं और उसे परमाणु हथियार संपन्न देश का दर्जा प्राप्त है। इस संधि में बेहद सख्त प्रावधान है कि परमाणु हथियार संपन्न देश किसी भी गैर परमाणु हथियार संपन्न देश को परमाणु बम, उसकी तकनीक या उससे जुड़े उपकरण नहीं सौंपेंगे।
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अगर चीन पाकिस्तानी सेना की मांग पूरी करता है तो वह खुद फंस जाएगा। चीन इस बात से भी खुश नहीं है कि पाकिस्तान ने सी गार्डियन 3 संयुक्त नौसैनिक अभ्यास के दौरान उसकी नौसेना को ग्वादर बंदरगाह पर जाने की अनुमति नहीं दी। पाकिस्तान ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और संवेदनशील इस ग्वादर बंदरगाह पर चीन की मौजूदगी का कड़ा विरोध किया है और इसी वजह से इस्लामाबाद ने ड्रैगन सेना को वहां जाने की अनुमति नहीं दी। ग्वादर ईरान के पास है जहां अमेरिकी विमानवाहक पोत अक्सर गश्त करते हैं। ईरान में ही ग्वादर के पास चाबहार बंदरगाह है जिसे भारत ने बनाया है।