कर्मचारियों पर हमले के समय डिप्टी कमिश्नर लता अग्रवाल ने चंदन नगर थाने से पुलिस बल की मांग की थी। इस पर पुलिस अधिकारी ने जवाब दिया कि अगर भीड़ थाने पर ही हमला कर दे तो आप क्या करेंगे? बाद में निगम अधिकारियों को मदद के लिए उच्च अधिकारियों से बात करनी पड़ी।
इंदौर नगर निगम की टीम पर हुए हमले में नगर निगम के अधिकारी बेबस नजर आए। पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। मौके पर मौजूद पुलिसकर्मी मूकदर्शक बने रहे। बाद में जब नगर निगम अधिकारी ने पुलिस बल मांगा तो एक थाने से जवाब मिला कि अगर भीड़ ने थाने पर हमला कर दिया तो क्या होगा।
इस बीच, बजरंग दल घटना में अपनी संलिप्तता से इनकार नहीं कर रहा है, लेकिन आरोप लगा रहा है कि नेता जमीन के खेल में गौशाला को निशाना बना रहे हैं। घटना के बाद रात करीब आठ बजे नगर निगम ने मुक्त कराई गई गायों को बरामद करने के लिए टीमें भेजीं।
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इससे पहले गायों से भरे वाहन को पुलिस सुरक्षा में सरकारी गौशाला भेजा गया। निगम ने कुल 60 से अधिक गायों को मुक्त कराया था, करीब 40 गायों को उपद्रवियों ने मुक्त कराया था। बुधवार सुबह नगर निगम की टीम को घेरने वालों की संख्या करीब 200 बताई जा रही है।
मामला दर्ज करवाने में भी निगम अधिकारियों के पसीने छूटते नजर आए। निगम अधिकारी शिकायत लेकर कलेक्टर के पास भी गए। बजरंग दल ने घटना में शामिल होने से इनकार नहीं किया। बल्कि आरोप लगाया कि निगम के लोगों ने ही तोड़फोड़ शुरू की, ताकि इसे दंगे का रंग दिया जा सके। गायों की दुर्दशा से गुस्साई भीड़ ने निगम कर्मियों की पिटाई कर दी।
बजरंग दल के विभाग संयोजक यश बच्चानी ने नईदुनिया से बातचीत में कहा कि मैं और हमारे कार्यकर्ता मौके पर मौजूद थे। नगर निगम ने जिस तरह से गायों को वाहनों में ठूंस दिया, उससे दो गायों के मरने की अफवाह फैल गई। इस पर हमें गुस्सा आ गया। इससे वहां मौजूद अन्य लोगों ने निगम वालों की पिटाई कर दी।
हमारे कार्यकर्ता रिमूवल अधिकारी बबलू कल्याणे और उपायुक्त लता अग्रवाल के रवैये से नाराज हैं। कल्याणे ने वहां भी अभद्र व्यवहार किया था। निगम वालों ने पहले तो अपनी ही गाड़ी पर हमला करवाया। बाद में गायों की दुर्दशा से नाराज होकर कार्यकर्ताओं ने उन्हें गाड़ियों से उतारकर गौशाला भेज दिया।
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बजरंग दल संयोजक ने यह भी आरोप लगाया कि दत्त नगर में अवैध बाड़ा एक गौशाला है। इसे एक संत चलाते हैं। निगम वालों ने उनकी झोपड़ी भी तोड़ दी, वह रोते रहे। इस गौशाला की जमीन पर नेताओं की नजर है। जमीन हड़पने के लिए यह खेल खेला जा रहा है।
कार्रवाई के दौरान पशुपालकों पर हमले की घटना पहली नहीं है। आठ साल पहले नगर निगम ने स्वच्छता के अभियान में शहर को पशुओं से मुक्त करने का अभियान चलाया था। उस समय बाड़े पर कार्रवाई के बाद पशुपालकों ने निगम कर्मचारी शुभम कुशवाह पर चाकू से हमला कर दिया था। निगम कर्मचारी की मौत हो गई थी। इसके बाद नगर निगम और प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए पशुपालकों के मकान तोड़ दिए थे।
बुधवार को जिन दो बाड़ों पर निगम ने कार्रवाई की थी, उन्हें हटाने का प्रयास किया गया था। कम से कम तीन बार कार्रवाई टल चुकी थी। बाड़े के संचालक जय शर्मा ने बताया कि 23 तारीख को कार्रवाई होनी थी, लेकिन नहीं हुई। हमने मेयर से बात की थी, उन्होंने हमें कुछ समय देने का आश्वासन दिया था। हम उनसे मिलने सचिवालय गए थे, उसी दौरान हमारे खिलाफ कार्रवाई की गई। बाद में पुल पर जो घटना हुई, उससे हमारा कोई लेना-देना नहीं है।
नगर निगम की ओर से अवैध बाड़ों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। हम लगातार पुलिस कमिश्नर से बात कर रहे हैं। कुछ गायें थाना परिसर में खड़ी थीं, उन्हें ले जाने के लिए रात में गाड़ियां भेजी गई थीं। -शिवम वर्मा, नगर आयुक्त