महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने त्रिभाषा फॉर्मूले पर कहा कि मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूँ कि महाराष्ट्र में त्रिभाषा नीति लागू की जाएगी। यह प्रतिष्ठा का विषय नहीं है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य की भाषा शिक्षा नीति पर एक बड़ा और स्पष्ट बयान दिया है। एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र में त्रिभाषा फॉर्मूला 100% लागू किया जाएगा।"
यह बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ हफ़्ते पहले राज्य सरकार ने उस विवादास्पद सरकारी आदेश (जीआर) को वापस ले लिया था, जिसमें हिंदी को तीसरी अनिवार्य भाषा बनाने का प्रस्ताव था। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) और शिवसेना (यूबीटी) ने इस जीआर के खिलाफ तीखा आंदोलन चलाया था, लेकिन अब फडणवीस के इस बयान ने इस बहस को फिर से हवा दे दी है।
'हिंदी अनिवार्य नहीं है, लेकिन भारतीय भाषाएँ ज़रूर पढ़ाई जाएँगी'
मुंबई तक को दिए एक साक्षात्कार में फडणवीस ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, "हमने विभिन्न पक्षों से चर्चा की। मुख्य आपत्ति यह थी कि हिंदी को अनिवार्य क्यों बनाया जाए? इसलिए हमने जीआर में बदलाव किया। अब हिंदी अनिवार्य नहीं है। अगर छात्र हिंदी पढ़ना चाहते हैं, तो वे पढ़ सकते हैं। अगर वे कोई अन्य भारतीय भाषा पढ़ना चाहते हैं, तो हम उसके लिए भी तैयार हैं, लेकिन कम से कम 20 छात्र होने चाहिए, अन्यथा हमें ऑनलाइन व्यवस्था करनी होगी।"
उन्होंने व्यावहारिक कठिनाइयों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, "अगर सिर्फ़ दो छात्र कहते हैं कि वे तेलुगु पढ़ना चाहते हैं, तो हम शिक्षक कहाँ से लाएँगे? लेकिन फिर सवाल उठता है, कक्षा 3 से क्यों? कक्षा 6 से क्यों नहीं?"
फडणवीस ने कहा, "यह हमारे लिए प्रतिष्ठा का विषय नहीं है... लेकिन मैं स्पष्ट रूप से कह रहा हूँ कि महाराष्ट्र में त्रिभाषा नीति लागू होगी। यह कक्षा 1 से शुरू होगी या उसके बाद, एक समिति तय करेगी। लेकिन हम इसे 100% लागू करेंगे।"
उन्होंने विचारधारा के नाम पर इसका विरोध करने वालों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, "मुझे इस मानसिकता से आपत्ति है जो अंग्रेज़ी के लिए तो लाल कालीन बिछा देती है, लेकिन भारतीय भाषाओं को नकार देती है। मैं भारतीय भाषाओं का विरोध बर्दाश्त नहीं करूँगा।"
विरोधियों ने मनाया जीत का जश्न
मनसे और उद्धव ठाकरे गुट ने हिंदी को अनिवार्य बनाने वाले सरकारी आदेश का कड़ा विरोध किया था। उनका आरोप था कि भाजपा सरकार मराठी भाषी छात्रों पर हिंदी थोपना चाहती है। विरोध के बाद सरकार ने सरकारी आदेश वापस ले लिया। इसके बाद राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने मुंबई में विजय रैली निकालकर एकता दिखाई और इसे 'मराठी भाषा की जीत' बताया, लेकिन फडणवीस के ताज़ा बयान ने साफ़ कर दिया है कि सरकार अपने मूल इरादे से पीछे नहीं हटी है।