सावन 2025: महादेव को प्रसन्न करने के लिए लोग तमाम तरह की पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन शिवजी की पूजा का सही तरीका बहुत कम लोग जानते हैं। आइए स्वामी कैलाशानंद गिरि से जानते हैं शिव पूजा की सही विधि।
सावन 2025 पूजा: सावन का पूरा महीना बेहद पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि जो भी इस महीने में सच्चे मन से शिवजी की पूजा करता है, उसका कल्याण होता है। सावन में शिव पूजा के लिए कई महत्वपूर्ण तिथियां होती हैं जैसे प्रदोष, शिवरात्रि, सोमवार व्रत आदि।
सावन शिवरात्रि के दिन रात्रि के चारों प्रहर में जलाभिषेक किया जाता है, मान्यता है कि ऐसा करने से पूरे सावन में पूजा करने का फल मिलता है। आइए स्वामी कैलाशानंद गिरि से जानते हैं सावन में शिव पूजा की सही विधि।
स्वामी कैलाशानंद कौन हैं?
स्वामी कैलाशानंद गिरि निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर हैं। उन्होंने लाखों नागा साधुओं और हजारों महामंडलेश्वरों को दीक्षा दी है। उनका जन्म 1976 में बिहार के जमुई जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। उन्होंने बचपन में ही आध्यात्म का मार्ग अपना लिया था। उन्होंने संतों की संगति में रहकर वेद, पुराण, उपनिषद और योग का ज्ञान प्राप्त किया।
स्वामी कैलाशानंद गिरि ने सावन में शिव पूजा की सही विधि बताई
स्वामी कैलाशानंद गिरि के अनुसार, शिव की पूजा और अभिषेक करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सावन में व्रत रखने वालों को नीम या बबूल की दातुन का प्रयोग करना चाहिए, ब्रश नहीं करना चाहिए। इसके बाद थोड़ा सा पंचगव्य लेकर व्रत का संकल्प लें और यह मंत्र बोलें - यत् त्वगस्थिगतं पापं देहे तिष्ठति मामके। प्रशनात् पंचगव्यस्य दहत्वाग्नेरिवेन्धनम्। फिर व्रत आरंभ करें।
महादेव की पूजा के लिए सावन में सुबह जलाभिषेक करें, लेकिन सावन शिवरात्रि पर रात के चारों प्रहर में पूजा की जाती है। पहले प्रहर में शिवलिंग का गंगाजल से, दूसरे प्रहर में गाय के दूध से, तीसरे प्रहर में सरसों के तेल से और चौथे प्रहर में गन्ने के रस से अभिषेक किया जाता है।
महादेव को एक बेलपत्र अर्पित करें, इसका फल करोड़ों कन्याओं के दान के बराबर होता है। यदि बेलपत्र उपलब्ध न हो, तो शिवलिंग पर चढ़ाए गए बेलपत्र के दर्शन मात्र से घोर पाप भी नष्ट हो जाते हैं।
इसके बाद पाठ करें और फिर भोग लगाकर आरती करें।
1.शिव पूजा में कौन सा पाठ करना चाहिए?
पाठ दो प्रकार के होते हैं - रुद्राष्टाध्यायी का पाठ सामान्यतः घर पर किया जा सकता है। रुद्राष्टाध्यायी में दस अध्याय हैं, और प्रत्येक अध्याय का अपना महत्व है।
दूसरा लघु रुद्र पाठ है। वेदों के अनुसार, इसका फल देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इसकी शक्ति से हर कार्य संभव हो जाता है। सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। यदि आप ये दोनों पाठ नहीं कर पा रहे हैं, तो मानसिक पूजा करें, इसके लिए शिव मानस स्तोत्र का पाठ करें।
भगवान शिव की पूजा कितने प्रकार से की जाती है?
स्वामी कैलाशानंद गिरि के अनुसार, शिव पूजा चार प्रकार से की जा सकती है।
मनसोपचार पूजा - यह मन से की जाने वाली पूजा है। यह पूजा बिना किसी भौतिक वस्तु या सामग्री के, केवल कल्पना और भावना से की जाती है।
पंचोपचार पूजा - इसे पंच उपचार पूजा भी कहते हैं, इसमें भगवान को पाँच प्रकार की वस्तुएँ अर्पित की जाती हैं। ये पाँच उपचार हैं - गंध (चंदन), पुष्प (फूल), धूप, दीप (आरती) और नैवेद्य (अर्पण)।
षोडोपचार पूजा - इसमें 16 प्रकार की पूजन सामग्री का उपयोग किया जाता है।
राजोपचार पूजा - इसे राजसी पूजा भी कहते हैं, यह एक विशेष प्रकार की पूजा है जिसमें 16 सामग्रियों के अलावा, भगवान को छत्र, चंवर, पादुका, रत्न और आभूषण भी अर्पित किए जाते हैं।