बाबा खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव 1 नवंबर को धूमधाम से मनाया जाएगा। भक्त घर पर ही विशेष पूजा-अर्चना और अपने प्रिय प्रसाद चढ़ाकर बाबा श्याम का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जानें कि इस पावन पर्व को घर पर कैसे मनाया जाए।
देवउठनी एकादशी न केवल शुभ कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है, बल्कि खाटू श्याम जी के जन्मोत्सव का भी प्रतीक है। "हारे हुए के रक्षक" माने जाने वाले खाटू श्याम बाबा के भक्त विशेष प्रार्थनाओं और भक्ति गीतों के साथ उनका जन्मदिन मनाते हैं। इस वर्ष, खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव 1 नवंबर, 2025 को मनाया जाएगा। भक्त इस दिन घर पर ही विशेष पूजा-अर्चना, प्रसाद और भक्ति गीतों के माध्यम से बाबा श्याम का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। जानें कि इस पावन पर्व को कैसे मनाया जाए और बाबा श्याम को कौन से प्रसाद प्रिय हैं।
खाटू श्याम जी का जन्मोत्सव
देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खाटू श्याम बाबा का जन्म देवउठनी एकादशी के दिन हुआ था। इसलिए भक्त इस दिन को "खाटू श्याम जन्मोत्सव" के रूप में मनाते हैं। इस वर्ष यह तिथि 1 नवंबर 2025 को पड़ रही है। देश भर के बाबा श्याम मंदिरों में भव्य समारोह आयोजित किए जाएँगे।
घर पर खाटू श्याम की पूजा कैसे करें
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ पीले या लाल वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और वहाँ गंगाजल छिड़कें। अब, एक पाटे पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएँ और बाबा श्याम की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। बाबा को फूल, माला और प्रसाद अर्पित करें। पूजा स्थल के सामने रंगोली बनाना शुभ माना जाता है। इसके बाद, घी का दीपक जलाएँ और इच्छानुसार "ॐ श्री श्याम देवाय नमः" या "जय श्री श्याम" मंत्र का 11, 21 या 108 बार जाप करें।
बाबा श्याम को उनके प्रिय भोग अर्पित करें
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, बाबा खाटू श्याम जी को चूरमा, खीर, पेड़े और मिश्री जैसे भोग बहुत प्रिय हैं। भक्त घर में बने पेड़े और चूरमा से बाबा को प्रसन्न कर सकते हैं। पूजा के बाद, आरती करें और प्रसाद परिवार और भक्तों में बाँट दें।
आरती के साथ पूजा संपन्न करें
बाबा श्याम के जन्मोत्सव पर, आरती के दौरान कपूर या घी का दीपक जलाना शुभ माना जाता है। यह दिन बाबा श्याम की भक्ति में लीन होने और उन्हें प्रसन्न करने का एक अवसर माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सच्चे मन से उनकी पूजा करने वाले भक्तों के दुःख और कष्ट दूर हो जाते हैं। कलियुग में बाबा श्याम को हारे का सहारा कहा जाता है। इसका अर्थ है कि बाबा श्याम सच्चे मन से उनकी शरण में आने वाले हर व्यक्ति की मनोकामना पूरी करते हैं।