- "हर घर में सरकारी नौकरी..." तेजस्वी यादव का वादा युवाओं को क्यों नहीं भाया? जानें RJD की हार के बड़े कारण

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में 2025 का बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा। तेजस्वी यादव का जादू बिहार में नहीं चल पाया। जानिए बिहार में RJD की हार के प्रमुख कारण।

बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने महागठबंधन के सीएम उम्मीदवार तेजस्वी यादव के सपनों पर पानी फेर दिया। 2020 में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी RJD इस बार सिर्फ़ 25 सीटों पर सिमट गई। 2010 के बाद से यह RJD का दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है। तेजस्वी यादव की नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल उठ रहे हैं। बिहार में RJD की करारी हार के कई कारण बताए जा रहे हैं।

NDA को प्रचंड बहुमत
2025 के बिहार विधानसभा चुनाव नतीजों में NDA ने 202 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत हासिल कर लिया है। इसके साथ ही नीतीश कुमार दसवीं बार मुख्यमंत्री बन सकते हैं। बिहार की राजधानी पटना और दिल्ली में सीएम के नाम को लेकर बैठकें शुरू हो गई हैं।

तेजस्वी के वादों में विश्वसनीयता की कमी
तेजस्वी यादव महागठबंधन की ओर से सीएम-इन-वेटिंग बने रहे। बिहार चुनाव में उनका जादू नहीं चल पाया। विश्लेषकों के अनुसार, तेजस्वी की हार का सबसे बड़ा कारण युवा मतदाताओं का समर्थन न मिलना था। बेरोजगारी के मुद्दे पर तेजस्वी यादव के वादों में विश्वसनीयता की कमी थी। वहीं, महिला मतदाताओं का भारी झुकाव एनडीए की ओर रहा।

रैलियों में उमड़े युवा
तेजस्वी यादव ने अपना पूरा चुनाव अभियान हर घर में एक सरकारी नौकरी और 10 लाख सरकारी नौकरियों पर केंद्रित रखा था। 2020 में, इसी तरह के वादों ने उन्हें 75 सीटें दिलाई थीं। इस बार तेजस्वी की रैलियों में युवा बड़ी संख्या में उमड़े, सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुए, लेकिन मतदान केंद्रों पर तेजस्वी यादव का जादू नहीं चला।

एनडीए का स्थिरता और विकास का वादा, युवा मतदाताओं के बीच राजद और तेजस्वी के प्रति विश्वसनीयता की कमी के कारण फीका पड़ गया। बिहार में चुनाव प्रचार के पहले दिन से ही, एनडीए का स्थिरता और विकास का वादा युवाओं के बीच गूंज रहा है।

लोग राजद में जंगल राज का डर महसूस कर रहे हैं।

पेपर लीक, भर्ती घोटालों और विरोध प्रदर्शनों में अनुपस्थिति पर तेजस्वी की चुप्पी ने युवाओं में निराशा पैदा की है। कई युवाओं ने कहा कि तेजस्वी ने वादे तो किए हैं, लेकिन नीतीश सरकार के कार्यकाल में बिहार में कुछ सुधार ज़रूर हुए हैं। वे नहीं चाहते कि बिहार में जंगल राज का डर फिर से पनपे।

महिला मतदाताओं ने एनडीए में जताया भरोसा
बिहार चुनाव नतीजों में तेजस्वी की हार के पीछे महिला मतदाता एक बड़ी वजह हैं। बिहार में महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.6 रहा, जो पुरुषों के मुकाबले 9 प्रतिशत ज़्यादा है। नीतीश कुमार की योजनाओं की वजह से महिला मतदाताओं ने एनडीए के पक्ष में वोट दिया। नीतीश सरकार द्वारा महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये भेजना एक बड़ा बदलाव साबित हुआ। यही राजद की हार का एक बड़ा कारण भी रहा।

एमवाई वोट बैंक भी राजद से छिटक गया
सीमांचल जैसे मुस्लिम बहुल इलाकों में, राजद का एमवाई वोट बैंक खिसक गया। एआईएमआईएम ने सीमांचल में मुस्लिम वोटों में सेंध लगाई। सीमांचल में यादव वोट पूरी तरह एकजुट नहीं हो पाए। यही वजह है कि एनडीए उम्मीदवारों ने सीमांचल में ज़बरदस्त जीत हासिल की।

राजद के भीतर पारिवारिक कलह ने भी इसमें भूमिका निभाई।

राजद के भीतर पारिवारिक कलह भी एक कारण था। राजद की हार के अन्य प्रमुख कारणों में पार्टी के भीतर की आंतरिक कलह भी शामिल है। तेजस्वी यादव के करीबी सहयोगी संजय यादव और रमीज़ पर टिकट बेचने और वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार करने का आरोप है। तेज प्रताप यादव ने कई मौकों पर तेजस्वी से जुड़े लोगों को "जयचंद" तक कहा है। चुनाव परिणामों में राजद की हार के बाद, लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी है।

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