रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया कि नेहरू सरकारी फंड से बाबरी मस्जिद की मरम्मत करवाना चाहते थे, जिसका पटेल ने विरोध किया था। कांग्रेस पार्टी ने इस बयान को "झूठ का पुलिंदा" बताया, जबकि बीजेपी ने मणिबेन पटेल की डायरी का हवाला देकर पलटवार किया।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के एक बयान से कांग्रेस पार्टी नाराज़ हो गई, जिससे उसके नेताओं की तरफ से कई प्रतिक्रियाएं आईं। वडोदरा में सरदार पटेल से जुड़े एक कार्यक्रम में बोलते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद को फिर से बनवाना चाहते थे, लेकिन सरदार पटेल ने इसका विरोध किया था। राजनाथ सिंह ने कहा कि नेहरू चाहते थे कि बाबरी मस्जिद की मरम्मत के लिए सरकारी फंड का इस्तेमाल किया जाए, लेकिन सरदार पटेल ने साफ कहा था कि सरकार किसी एक धर्म के मामलों पर पैसा खर्च नहीं कर सकती।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि जब पंडित नेहरू ने सोमनाथ मंदिर का ज़िक्र किया, तो पटेल ने जवाब दिया कि सोमनाथ मंदिर जनता से इकट्ठा किए गए दान से बनाया जा रहा है, और इसमें कोई सरकारी पैसा शामिल नहीं है। इसके बाद राजनाथ सिंह ने अयोध्या में राम मंदिर का ज़िक्र किया और कहा कि अयोध्या में भगवान राम का भव्य मंदिर भक्तों के पैसे से बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यही सच्चा धर्मनिरपेक्षता है। उन्होंने यह भी बताया कि सरदार पटेल की बेटी मणिबेन ने इस घटना को अपनी डायरी में दर्ज किया था।
बीजेपी इतिहास को तोड़-मरोड़ रही है - कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी ने राजनाथ सिंह के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे "झूठ का पुलिंदा" बताया। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि अपने स्वभाव के अनुसार, बीजेपी और उसके नेता इतिहास को तोड़-मरोड़ रहे हैं और झूठ फैला रहे हैं। कांग्रेस सांसद मणिक्कम टैगोर ने व्यंग्य करते हुए कहा कि उन्हें नहीं पता था कि राजनाथ सिंह ने भी "व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी" से इतिहास पढ़ा है। जवाब में, बीजेपी सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस नेताओं को इतिहास दोबारा पढ़ने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेताओं को कम से कम गांधी-नेहरू परिवार का इतिहास ठीक से पढ़ना चाहिए।
मणिबेन की डायरी का ज़िक्र
सुधांशु त्रिवेदी ने सरदार पटेल की बेटी मणिबेन की डायरी के पेज नंबर 24 का हवाला देते हुए कहा कि नेहरू ने बाबरी मस्जिद का मुद्दा उठाया था, लेकिन पटेल ने यह कहकर उन्हें चुप करा दिया था कि बाबरी मस्जिद के लिए सरकारी फंड नहीं दिया जा सकता। राजनाथ सिंह ने जो कहा वह इतिहास में दर्ज है। बाबरी मस्जिद का विध्वंस भी अब इतिहास का हिस्सा है। स्ट्रक्चर कैसे गिरा, मंदिर कैसे बना - ये सब पुरानी बातें हैं। जब सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आया और राम मंदिर बनाने का फैसला हुआ, तो इस बात का ध्यान रखा गया कि किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे और किसी भी तरह का कोई उकसावा न हो। आज भी यही ध्यान रखना चाहिए, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए पुराने ज़ख्मों को कुरेदते रहते हैं। यह विवाद दिखाता है कि पॉलिटिकल पार्टियां इतिहास के पन्नों को अपनी सुविधा के हिसाब से पढ़ती हैं, जिससे समाज में नई बहसें शुरू हो जाती हैं।